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अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र ने जताई चिंता, कहा- दमन रोकने के लिए वैश्विक कार्रवाई

संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएन वूमन ने अपनी एक नई रिपोर्ट में अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति पर चिंता जाहिर की है। रिपोर्ट में यूएन वूमन संस्था ने अफगानिस्तान में महिलाओं का दमन रोकने के लिए वैश्विक कार्रवाई की मांग की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में बीते कई दशकों में जो प्रगति हुई थी, उसे तालिबान के तीन वर्षों के शासन में ही मिटा दिया गया है। 

रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज तालिबान ने पिछले कुछ वर्षों में 70 से ज्यादा ऐसे आधिकारिक आदेश, वक्तव्य और नीतियां लागू की हैं, जिनका अफगानिस्तान की महिलाओं और लड़कियों के जीवन पर गहरा असर पड़ा है। अफगानिस्तान में महिला अधिकार पिछले कई दशकों व पीढ़ियों से एक संघर्ष से गुजर रहा है, लेकिन अगस्त 2021 के बाद से देश में तालिबान का शासन स्थापित होने के बाद अफगान महिलाओं और युवतियों को बड़े पैमाने पर दमन का सामना करना पड़ रहा है। यूएन वूमन की यह रिपोर्ट यूरोपीय संघ की आर्थिक मदद से तैयार की गई है। रिपोर्ट में अफगानिस्तान में बीते 40 वर्षों की लैंगिक समानता की स्थिति का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, लैंगिक समानता को चोट पहुंचाने की वजह से सभी क्षेत्रों में विकास पर असर पड़ा है। प्रगति के अवसर सीमित हुए हैं और इसके प्रभाव अगली कई पीढ़ियों तक महसूस किए जा सकते हैं। 

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कई चिंताजनक आंकड़े पेश किए गए हैं। जिनके अनुसार, अफगानिस्तान में 11 लाख लड़कियां स्कूल नहीं जा रही हैं और एक लाख से ज्यादा महिलाएं यूनिवर्सिटी में पढ़ाई नहीं कर पा रही हैं। अफगान महिलाओं के पास उनके जीवन को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर फैसले लेने का कोई अधिकार नहीं है। तालिबान प्रशासन में कोई महिला नेता नहीं है। UN Women के आँकड़ों के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान में एक प्रतिशत महिलाओं को ही यह महसूस होता है कि उनका अपने समुदाय में कोई प्रभाव है। 

महिलाओं में निराशा का माहौल
सामाजिक तौर पर अलग-थलग होने से महिलाएं व लड़कियां हताशा व निराशा से जूझ रही हैं। 18 प्रतिशत महिलाएं, सर्वेक्षण से पहले के तीन महीनों के दौरान, अपने घर-परिवार के अलावा किसी महिला से एक बार भी नहीं मिली। इस सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाली प्रतिभागियों में से करीब आठ फीसदी कम से कम एक ऐसी महिला या लड़की को जानती हैं, जिन्होंने अगस्त 2021 के बाद आत्महत्या करने की कोशिश की है। एक 26 वर्षीय अफ़ग़ान महिला ने यूएन वूमन को बताया कि, ‘महिलाएं निर्णय लेने का अधिकार हासिल करना चाहती हैं, न केवल अपने घरों में बल्कि सरकार व अन्य स्थलों पर। वे शिक्षा चाहती हैं। वे काम करना चाहती हैं। वे अपने लिए अधिकार चाहती हैं।’ अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान की वापसी के तीन साल बाद, अफगान महिलाओं का संकल्प और मज़बूत हुआ है, लेकिन समाज में उनका दर्जा व परिस्थितियां बद से बदतर हो रही हैं।

संयुक्त राष्ट्र ने सुझाए कुछ सुझाव
इस अध्ययन में सभी हितधारकों से अफगान महिलाओं व लड़कियों को समर्थन प्रदान करने के लिए निम्न क़दम उठाए जाने का आग्रह किया गया है।

1. सतत रूप से और आवश्यक बदलावों के अनुरूप वित्त पोषण मुहैया कराना, ताकि महिलाओं के नागरिक समाज संगठनों को मज़बूती दी जा सके। अफ़ग़ानिस्तान के लिए कुल सहायता धनराशि का कम से कम 30 फ़ीसदी लैंगिक समानता व महिला अधिकारों के लिए मद में सुनिश्चित करना। 

2. महिलाओं के साथ भेदभावपूर्ण क़दमों व तौर-तरीक़ों को रोकने के लिए ज़रूरी उपाय लागू करना, ताकि तालेबान की नीतियों, मानकों व मूल्यों में भेदभाव के सामान्यकरण से बचा जा सके।

3. महिला अधिकारों पर विशेष रूप से ध्यान देते हुए, सभी मानवतावादी गतिविधियों और मानवीय ज़रूरतों के लिए हस्तक्षेप में मानवाधिकारों को समाहित करना।

(नोट: यह लेख संयुक्त राष्ट्र हिंदी समाचार सेवा से लिया गया है।) 

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