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इस्राइल का आयरन बीम हमास के रॉकेट हमले के खिलाफ, लेजर एयर डिफेंस तैनात कर सेना ने पलट दिया पासा!

हमास के आतंकी हमलों के कारण पश्चिमी एशिया का देश इस्राइल लगातार सुर्खियों में है। इसी बीच इस देश की तकनीकी श्रेष्ठता पर भी बात हो रही है। दरअसल, इस्राइल तकनीक के मामले में कई देशों से काफी आगे है। बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए समुद्र के खारे पानी को साफ करने की तकनीक की बात करें या सैन्य मोर्चे पर अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की, इस्राइल की चर्चा तकनीक और ताकत के मामले में आत्मनिर्भर होने के कारण सबसे अधिक होती है। 

हमास के आतंकी हमलों से बौखलाए प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस्राइली सेना को दुश्मन को चारों खाने चित्त करने का स्पष्ट निर्देश दिया है। इस्राइल की सैन्य ताकत के बारे में आ रही मीडिया रिपोर्ट्स भी सिहरन पैदा करने वाली है। सेना की ताकत ऐसी है जिससे पूरा इलाका एक हमले में साफ हो सकता है। इसी बीच हमास के रॉकेट हमलों को नाकाम करने के लिए इस्राइली सेना ने अब लेजर एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।

आयरन बीम पूरे देश में तैनात
रिपोर्ट्स के अनुसार, हमास के रॉकेट को मार गिराने के लिए इस्राइल ने युद्ध में पहली बार लेजर बीम का इस्तेमाल किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्राइली लेजर बीम के इस्तेमाल की वीडियो भी सामने आई है। खबरों में दावा किया जा रहा है कि अत्याधुनिक इस्राइली हथियार आयरन बीम पूरे देश में तैनात कर दिया गया है। 

दुश्मन के हमलों को नाकाम कर रही सेना
हमास के रॉकेट, ग्रेनेड और मोर्टार के हमलों को नाकाम करने के लिए इस्राइली सेना आयरन बीम लेजर प्वाइंट डिफेंस सिस्टम को एक्टिवेट कर चुकी है। दुश्मन के हमलों को नाकाम करने के लिए इस्राइली सेना के जवान लेजर अटैक की मदद से ड्रोन, रॉकेट, मिसाइल मोर्टार जैसे हमलों को आसमान में ही ढेर कर रहे हैं।

समय से पहले एक्टिव हुई तकनीक, वीडियो वायरल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्राइल लेजर डिफेंस सिस्टम को आने वाले कुछ साल में लागू करने की योजना बना रहा था। हालांकि, हमास के हमलों से पैदा हुए आपातकालीन हालात के कारण इस्राइल में लेजर से हमले की तकनीक पहले ही सक्रिय कर दी गई। आयरन बीम लेजर एयर डिफेंस सिस्टम से हमास पर पलटवार करने का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रही है। हालांकि, अमर उजाला ऐसे वीडियो के प्रमाणिक होने की पुष्टि नहीं करता।

9 साल पहले सामने आई तकनीक 
खबरों के अनुसार, तकनीक को पहले छोटे रेंज से होने वाले हमलों को नाकाम करने के लिए बनाया गया था। इसका रेंज 7 किलोमीटर है, लेकिन ये काफी तेज गति से बेहद सटीक मार कर सकता है। हालांकि, लंबी दूरी से हमास के रॉकेट हमलों को मार गिराने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। इस्राइल जिस तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है, इसकी जानकारी करीब 9 साल पहले सामने आई थी। डायरेक्टेड एनर्जी वेपन एयर डिफेंस सिस्टम नाम की इस तकनीक के बारे में इस्राइल ने सिंगापुर एयर शो में पहली बार बताया था।

मारक हथियार काफी प्रभावी, लागत भी बहुत कम
खास बात ये है कि इस तकनीक का इस्तेमाल कर इस्राइली सेना ड्रोन और मानव रहित विमान (यूएवी) को भी ढेर कर सकती है। आयरन बीम इस्राइली इंटीग्रेटेड मिसाइल डिफेंस सिस्टम का छठा हथियार है। इस तकनीक के बारे में आई रिपोर्ट्स के अनुसार आयरन बीम से निकलने वाला लेजर दुश्मन के टारगेट पर सटीक हमला करती है। इसकी मारक क्षमता को देखते हुए तकनीक की लागत को काफी कम बताया जा रहा है। दो हजार अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 1.66 लाख रुपये में आने वाली इस तकनीक की मदद से हवाई हमलों को काफी प्रभावी तरीके से नाकाम किया जा सकता है।

फाइबर लेजर की मदद से ढेर होते हैं दुश्मन
दुनियाभर में मशहूर इस्राइल के आयरन डोम से निकलने वाली एक मिसाइल की लागत 8 लाख रुपये आती है। दुश्मन की तरफ से हमला होने पर आयरन बीम की मदद से पलक झपकते ही फाइबर लेजर टारगेट को ढेर कर देता है। एरबियम, निजडीमियम, होलमियम जैसे एलिमेंट का इस्तेमाल कर घातक लेजर पैदा की जाती है। खास बात ये कि गोलाबारूद की तरह इसमें री-लोड करने की जरूरत नहीं पड़ती। 

रेंज बढ़ाने की भी खबरें, बिना रूके हमला करती है लेजर
निरंतर बिजली सप्लाई होने पर इसे मनचाहे तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। गोली या रॉकेट का इस्तेमाल नहीं होता इसलिए सात किलोमीटर की रेंज में आने वाले टारगेट को निशाना बनाने की कोई सीमा नही है। यानी जितना मन करे उतनी बार इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ रिपोर्ट्स में आयरन बीम की रेंज बढ़ाकर 10 किलोमीटर किए जाने का दावा भी किया गया है, हालांकि, इस्राइली सेना ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

इस्राइल की नौसेना में भी इस्तेमाल होगी तकनीक
राफेल और लॉकहीड मार्टिन जैसी कंपनियों के साथ मिलकर बनाई गई इस तकनीक के बारे में कहा जा रहा है कि इस्राइल ने इस ट्रायल हथियार को पूरे देश में इस्टॉल कराया है। इसे नौसेना में शामिल किए जाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। खबरों के मुताबिक रेशेफ क्लास कॉर्वेट युद्धपोत पर इसे तैनात किया जा सकता है। हालांकि, इसमें चार-पांच साल का समय लगेगा।

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