हाथरस : अपने खोए जनाधार को पाने के लिए किसानों पर कंट्रोल करने के लिए बनाए गए तीनों काले कृषि क़ानूनों के विरोध में विपक्षी दल मोदी-योगी सरकार को घेरने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं चाहे कांग्रेस हो या रालोद दोनों दल सड़क पर खूब पसीना बहा रहे हैं कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं यूपी की प्रभारी प्रियंका गाँधी ने बिजनौर के चाँदपुर में किसानों के मुद्दों को लेकर पंचायत की तो हाथरस के सादाबाद, में जयंत चौधरी ने किसान महापंचायत को संबोधित किया।
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ग्रामीण परिवेश के बारे में नहीं जानते सरकार में बैठे लोग
दोनों ही नेताओं के निशाने पर केंद्र की मोदी सरकार और यूपी की योगी सरकार रही।रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्वं चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि किसानों का आंदोलन स्वत: स्फूर्त आंदोलन है आज 82 दिन बाद भी जब 200 से ज्यादा जवान किसान शहीद हो चूके हैं तब भी मोदी सरकार के कान पर जू नहीं रेंग रही।
चौधरी चरण सिंह जी की लिखी हुई 1978 की किताब भारत की अर्थनीति: गांधीवादी रूपरेखा का फिर से जिक्र करते हुए कहा कि चौधरी साहब कहा करते थे कि सरकारों में जो लोग बैठे हैं उन्हें ग्रामीण परिवेश के बारे में कुछ नहीं पता इसलिए वे जो फैसले करते हैं ज्यादातर फैसले गांव और किसानों के ख़िलाफ़ होते आज की सरकार में यह बात पूर्णत: साबित कर दी हैं। मोदी की भारतीय जनता पार्टी की राजनीति पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा आप राम के नाम पर वोट लेते हो पर बात होनी चाहिए अलीगढ़ के रामजी लाल की। रामजी लाल एक किसान जिन्हें बिजली अधिकारियों ने इतना परेशान किया की तंग आकर उन्होंने आत्महत्या कर ली।
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किसानों की आमदनी दोगुना करने का मुद्दा
किसानों की आमदनी दोगुनी करने के मुद्दे को भी आज जयंत चौधरी ने उठाया और सरकार से सवाल किया कि बिजली के दाम कई गुना बढ़ा दिए गए, गन्ने के दाम में तीन साल से कोई बढ़ोतरी नही हुई, बाक़ी फ़सलो के उचित दाम किसान को मिल नही रहे। क्या ऐसे किसानों की आमदनी दोगुनी होगी? उन्होंने कहा नेता वो अच्छा जो आलोचना सहन करें, न की जनता को गलत ठहराए। आज जयंत चौधरी ने हाथरस कांड पर भी बोला और कहा मुझ पर लाठियां चलाई गईं पर आज तक कोई ऐसी लाठी नही बनी जो मुझे आपके लिए लड़ने से रोक सके।
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पंचायत ने लिए चार फैसले
अंत में किसान पंचायत के फैसलों को भी सुनाया गया। इस पंचायत में चार फैसले लिए गए हैं पहला फैसला आने वाले चुनाव में भाजपा को वोट की चोट देनी होगी। दूसरा फैसला जब तक कानून वापस नहीं होंगे विरोध प्रदर्शन चलते रहेंगे। तीसरा फैसला सरकार अगर अनैतिक दबाव द्वारा आंदोलन करने वाले लोगों पर दबाव बनाएगी तो सरकार को अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। चौथा फ़ैसला नौजवानों से वादा करते हुए कहा आज पंचायत किसानों के लिए है और हमें नौजवानों की नौकरी के लिए भी आंदोलन चलाना होगा और जल्द ही हम नौजवानों के लिए भी आंदोलन करेंगे।
(सौ.ई.खबर / रिपोर्ट- तौसीफ कुरैशी)