थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने प्रधानमंत्री पैटॉंगटर्न शिनावात्रा को 1 जुलाई 2025 को उनके पद से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। यह फैसला उस लीक फोन कॉल के बाद आया जिसमें उन्होंने कंबोडिया के पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन के साथ बातचीत में थाई सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी की आलोचना की थी और हुन सेन को “चाचा” कहकर संबोधित किया था। इस कॉल के सार्वजनिक हो जाने के बाद सरकार की निष्ठा पर सवाल खड़े हुए।
इस मामले में 36 सैनेटरों ने अदालत में याचिका दाखिल की थी, जिसमें शिनावात्रा पर “नैतिक आचरण के उल्लंघन” और “संवैधानिक सिद्धांतों की अनदेखी” के आरोप लगाए गए। अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए, शिनावात्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। अदालत ने उन्हें 15 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।
शिनावात्रा ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए कहा कि उनका इरादा राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा करना था, और वह सैनिकों का मनोबल गिराना नहीं चाहते थे। इसके बावजूद, उनकी लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है और अब वह 10% से भी नीचे आ गई है।
उनके निलंबन के बाद उप प्रधानमंत्री सुरिया जुआंगरूंगरुंगकिट को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। साथ ही, इस विवाद के चलते सत्तारूढ़ गठबंधन का एक प्रमुख दल सरकार से अलग हो गया है, जिससे राजनीतिक संकट और गहराता दिख रहा है।
इस बीच, शिनावात्रा के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री ठाकसिन शिनावात्रा को भी अदालत में “राजद्रोह” कानून के तहत पेश होने का आदेश मिला है, जिससे शिनावात्रा परिवार की राजनीतिक विरासत पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
थाईलैंड में सेना, न्यायपालिका और शिनावात्रा परिवार के बीच राजनीतिक संघर्ष का यह नया अध्याय देश में अस्थिरता बढ़ा सकता है। अब सबकी निगाहें अदालत के अंतिम फैसले और आगामी राजनीतिक घटनाक्रम पर टिकी हैं।