Site icon Manvadhikar Abhivyakti News

दो सिख चरमपंथियों को अदालत से झटका, अब भी नहीं भर सकेंगे हवाई यात्रा; जारी रहेगा नो-फ्लाई सूची में नाम

कनाडा की एक अदालत ने दो सिख चरमपंथियों द्वारा देश की नो-फ्लाई सूची से खुद को हटाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। 2018 में दोनों को इस लिस्ट में शामिल किया गया था। उसका कहना है कि इस बात का उचित आधार है कि वे आतंकवाद के अपराध को अंजाम देने के लिए परिवहन सुरक्षा या हवाई यात्रा को खतरा पैदा कर सकते हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भगत सिंह बराड़ और पर्वकर सिंह दुलाई चाहते थे कि सिक्योर एयर ट्रैवल एक्ट के तहत उन्हें नो-फ्लाइंग लिस्ट से हटा दिया जाए और उन्हें हवाई यात्रा करने की अनुमति मिले। हालांकि कोर्ट ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। अदालत ने कहा कि सरकार के पास इस बात को लेकर संदेह करने के लिए उचित आधार हैं कि दोनों किसी आतंकवादी घटना को अंजाम देने के लिए हवाई यात्रा करेंगे।

आपको बता दें कि इस मामले में 13 और 17 जून को सुनवाई हुई। तीन जजों की पीठ ने 19 जून को अपना फैसला सुनाया।

कौन है भगत सिंह?
भगत सिंह बराड़ लखबीर सिंह लोडे का बेटा है। वह इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन का प्रमुख भी है। इस संगठन को कनाडा में प्रतिबंधित किया गया है। चरमपंथी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले के भतीजे लखबीर सिंह लोडे की पिछले साल दिसंबर में पाकिस्तान में मौत हो गई थी। भिंडरावाले की मौत जून 1984 में तब हुई थी, जब भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्लूस्टार के दौरान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को चरमपंथियों की गिरफ्त से आजाद कराया था।

भारत में हमले की योजना…
बराड़ को 24 अप्रैल 2018 को वैंकूवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर फ्लाइट में चढ़ने से रोका गया था। दुलाई को भी उसी साल 17 मई को उसी हवाई अड्डे पर विमान में चढ़ने से मना कर दिया गया था। ग्लोबल न्यूज ने जुलाई 2020 में अपनी एक रिपोर्ट में कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों के दस्तावेजों के हवाले से बरार पर भारत में हमले की योजना बनाने के लिए पाकिस्तान की आईएसआई के साथ काम करने का आरोप लगाया गया था। इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस यानी कि आईएसआई पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी है।

उन्हीं दस्तावेजों में ये भी आरोप लगाए गए थे कि ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में रहने वाले दुलाई पर आतंकवादी हमलों का सूत्रधार होने का संदेह था।

Exit mobile version