रिपोर्ट – सैनी
पटना – राजस्थान बाड़मेर के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित के खिलाफ पटना में एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा और गिरफ्तारी के मामले पर कई तरह के सवाल उठने के कारण विहार के सीएम नीतीश कुमार ने उच्चस्तरीय जांच करने के आदेश दे दिए हैं। नीतीश कुमार ने जांच पटना जोन के आईजी नैय्यर हसनैन खान को सौंपी और मामले की निष्पक्षता से जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है।
क्योंकि मामला अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण कानून की गैर जमानती धारा में राजस्थान के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित को गिरफ्तार करने के बाद मामले में नया मोड़ आया है। पटना की एससी-एसटी अदालत में पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने वाला फरियादी राकेश पासवान अपने गांव से लापता है। पटना की एक अदालत में आज दुर्ग सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई होने वाली है।
नालंदा के अस्थवां थाने के टेटुआ गांव का निवासी है राकेश पासवान । उसके पिता दशरथ पासवान ने एक निजी न्यूज संस्था को बताने के बाद से ये मामला प्रकाश में आया है, कि उसका बेटा गांव छोड़ कर कहीं चला गया है। उसके पिता ने दावा भी किया कि राकेश न कभी राजस्थान गया था और न ही उसने किसी व्यक्ति के खिलाफ एस-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया है। बकौल दशरथ पासवान कि राकेश पटना के दीघा निवासी संजय सिंह के यहां नौकरी करता था और उसी ने किसी कागज पर राकेश से दस्तखत करा लिया है । वहीं स्थानीय लोगों के मुताबिक संजय सिंह बालू का बड़ा कारोबारी है।
वहीं दुर्ग सिंह के पिता गुमान सिंह ने बताया कि उनका बेटा पैदा होने से लेकर अब तक बाड़मेर में ही रहा और वहीं एक मीडिया हाउस के लिए काम करता था। उन्होंने कहा, “न मैं न मेरा परिवार किसी संजय सिंह या राकेश पासवान को नही जानता है। ये तो मेरे लिए हैरान करने वाली बात है। दुर्ग सिंह का पटना से कोई वास्ता भी नहीं रहा। अचानक बाड़मेर पुलिस ने उसे पकड़ पटना ले जाकर बिहार पुलिस के हवाले कर दिया। उसके बाद ही हमें इस मुकदमे के बारे में ज्ञात हुआ। 20 अगस्त को दुर्ग सिंह राजपूत पटना लाए गए।
22 अगस्त को एससी-एसटी अदालत ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। वहीं दुर्ग सिंह के वकीलों ने जमानत के लिए याचिका लगाई है जिस पर आज न्यायधीष मनोज कुमार सिंह की अदालत में सुनवाई होगी। गौर करने वाली बात ये है कि राकेश पासवान अदालत में हाजिर होता है या नहीं।
दस्तावेजों के मुताविक राकेश ने आरोप लगाया है कि जब कि वह बाड़मेर में दुर्गेश के यहां पत्थर तोड़ने का काम करता था, तब उसे जातिसूचक शब्दों से संबोधित कर प्रताड़ित किया गया। जब वह बिहार भाग कर पटना आ गया। तो दुर्गेश सिंह भी 15 मई को पटना आ गया और उस पर वापस चलने का दबाव बनाने लगा लेकिन वह नहीं माना। वापस 7 मई को दुर्गेश सिंह ने कुछ साथ मिलकर उसके साथ मार-पीट की , ये घटना पटना में ही घटित हुई ऐसे उसने जिक्र किया है।