कर्नाटक में हफ्ते भर बीजेपी का “कर-नाटक” खरगोश और कछुये का खेल खत्म ! येदुरप्पा को 104 सीट के अल्पमत के बावजूद भी राज्यपाल बजू भाई वाला ने किस भरोसे के साथ सरकार बनाने का न्यौता दिया यही नहीं 15 दिन में बहुमत साबित करने का समय तक दे डाला व आनन-फानन में शपथ भी दिला डाली । इसके पीछे मात्र राज्यपाल से पूर्व अपनी राजनैतिक पार्टी के साथ वफ़ादारी निभाना था ?
या येदुरप्पा को बीजेपी ने जान बूझकर बनाया बलि का बकरा , क्योंकि जिस तरह येदुरप्पा को शपथ दलाई गई और शपथ में प्रधानमंत्री , बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष , व बीजेपी के मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय मंत्री क्यों कर शामिल नही हुये , जैसे बीजेपी के हर मुख्यमंत्री के समाहरोह को भव्य बनाया जाता था और उक्त सभी शामिल भी होते थे ।
क्या ये वस्तुस्थिति को भांपते हुये ऐसा निर्णय लिया गया ? क्या ये उक्त सवालों को बल नहीं देता है ।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट के सुप्रीम फैसले ने जनमत और लोकतंत्र को बचाने में बड़ी भूमिका निभाई , जिसके लिये भारत का जनमानस उनका आभार व्यक्त करता है।