ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएल ब्रेवरमैन ने इस्राइल-गाजा युद्ध की प्रतिक्रिया में देश की सड़कों पर बड़े पैमाने पर हो रहे प्रदर्शनों को ‘घृणा मार्च’ करार दिया और कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह आतंकवाद संबंधी कानून में बदलाव करने से नहीं हिचकेंगी। भारतीय मूल की मंत्री सोमवार 10 डाउनिंग स्ट्रीट में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की अध्यक्षता में कोबरा (कैबिनेट ऑफिस ब्रीफिंग रूम) की आपात सुरक्षा बैठक में बोल रहीं थीं।
उन्होंने पुष्टि की कि अंतरराष्ट्रीय आतंवाद से देश के खतरे के स्तर को पर्याप्त बनाए रखने के लिए ब्रिटेन के संयुक्त आतंकवाद विश्लेषण केंद्र (जेटीएसी) के साथ सहमति हुई है, जिसका मतलब है कि हमले की संभावना है। उन्होंने पुलिस ने यहूदी विरोधी भावना के प्रति जीरो-टॉलरेंस का दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान दोहराया।
बीते कुछ हफ्तों से देश की सड़कों पर हो रहे फलस्तीन समर्थक प्रदर्शनों के बारे में पूछे जाने पर ब्रेवरमैन ने कहा, मेरे विचार से उन मार्चों की व्याख्या करने का केवल एक ही तरीका है- वे घृणा मार्च हैं। उन्होंने कहा, पिछले कुछ सप्तांतों में हमने जो देखा है कि यहूदी लोगों के नरसंहार के बाद हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। होलोकॉस्ट के बाद से यहूदी लोगों का यह (हमास का इस्राइल पर हालिया हमला) सबसे बड़ा नुकसान है। यह लोग मानचित्र से इस्राइल के विनाश के लिए नारे लगा रहे हैं।
घरेलू सुरक्षा की प्रभारी कैबिनेट मंत्री ने असामाजिक तत्वों को भी चेतावनी दी कि जो जानबूझकर आपराधिक सीमा नीचे इस तरह के काम कर रहे हैं, उन्हें आप या मैं या ब्रिटेन के लोगों का बहुमत पूरी तरह से घृणा के योग्य मानेगा।
उन्होंने कहा, हम अपने कानूनों की समीक्षा कर रहे हैं। अगर कानून को बदलने की आवश्यकता होगी, जैसा कि हमने जस्ट स्टॉप ऑयल विरोध के संबंध में किया था, तो मैं कार्रवाई करने में संकोच नहीं करूंगी। उनका यह बयान तब सामने आया है आतिफ शफीक (41 वर्षीय) नाम के एक व्यक्ति को लंदन में एक विरोध प्रदर्शन में एक अधिकारी पर हमला करने के लिए छह महीने की सजा सुनाई गई है। डिस्ट्रिक्ट जज डेनिस ब्रेनन ने इस सप्ताह अदालत में आरोपी से कहा कि इस देश में शांतिपूर्ण प्रदर्शन की सम्मानजनक परंपरा रही है, लेकिन उसके कृत्य से भीड़ भड़क सकती थी।
इस बीच, विपक्षी लेबर पार्टी के शैडो होम सेक्रेटरी यवेट कूपर ने कहा कि गृह मंत्री की जिम्मेदारी है कि वह पुलिस के लिए घृणा अपराध और चरमपंथ से निपटना आसान बनाएं, साथ ही विभिन्न समुदायों को आश्वस्त करें जो मध्य पूर्व की घटनाओं से बहुत व्यथित हैं।