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‘शादी एक महीने के भीतर हो…’, शख्स के खिलाफ पॉक्सो और दुष्कर्म का मामला हाईकोर्ट ने खारिज किया

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक व्यक्ति के खिलाफ दुष्कर्म और पॉक्सो अधिनियम के तहत लगे आरोपों को खारिज कर दिया। दरअसल, पीड़िता ने उससे शादी की इच्छा जताई है। अदालत ने आदेश दिया कि शादी एक महीने के भीतर हो और आरोपी को न्यायिक हिरासत से रिहा किया जाए। 

पीड़िता और उसके पिता न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदर की अदालत के समक्ष पेश हुए और उन्होंने एक हलफनामा दाखिल किया। इसमें उन्होंने कहा कि उन्हें व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही को रद्द करने से कोई आपत्ति नहीं है। 

हलफनामे में कहा गया है कि पीड़िता अब बालिग हो गई है। युवती ने हलफनामे में कहा, मैं याचिकाकर्ता के साथ रोमांटिक रिश्ते में हूं और उससे शादी करना चाहती हूं और उसके साथ अपना खुशहाल वैवाहिक जीवन बिताना चाहती हूं और वह इसके लिए सहमत भी हो गया है। 

इसमें आगे कहा गया, इस हलफनामे के जरिए मैं याचिकाकर्ता से शादी करने की अपनी इच्छा जाहिर करती हूं और इसलिए मुझे याचिका को अनुमति देने और इस माननीय न्यायालय को अपनी शक्ति का इस्तेमाल करने और याचिकाकर्ता के खिलाफ लंबित कार्यवाही को रद्द करने में कोई आपत्ति नहीं है। 

अदालत के समक्ष आरोपी को भी पेश किया गया। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता ने कहा है कि वह पीड़िता के साथ शादी के लिए तैयार है और उनके बीच यौन संबंध सहमति से बने थे, क्योंकि वे रिश्ते में थे। अदालत ने यह भी कहा कि पीड़िता सुनवाई के दौरान जिरह में अपने बयान से पलट गई थी। 

अदालत ने आगे कहा कि इस मुकदमे की सुनवाई जारी रखना कानून की प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल होगा। उच्च न्यायालय ने कहा, इस अदालत के समक्ष मौजूद पीड़िता ने कहा है कि वह आरोपी के साथ शादी करना चाहती है और अगर आपराधिक कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दी जाती है, तो इसके चलते आरोपी को कैद में ही रखा जाएगा, जो न्याय को सुरक्षित करने के बजाय पीड़िता को अधिक पीड़ा और दुख देगा। इसलिए, आपराधिक कार्यवाही की निरंतरता कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। 

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