यूपीए सरकार के खिलाफ मंहगाई को लेकर विपक्ष की भूमिका निर्वहन करती बीजेपी ।
आज महंगाई पर सरकार या सरकार में बैठे मंत्री कुछ बोलने को तैयार ही नहीं है, ऐसा महशूस ही नहीं अपितु प्रत्यक्षरुप से देखा भी जा रहा है, लेकिन इसकी मुख्य वजह पर किसी की नजर नहीं पड़ पा रही, जनता भी महंगाई की मार से कराह रही है, लेकिन वो तो ठहरी बेचारी जनता जो सिर्फ पाँच साल में एक बार ही “जनार्दन” बनती है, उसके बाद लगभग 4 साल 10 महीने “दास” बनकर ही रह जाती है, जिसे वो अपना प्रतिनिधि चुनकर देश की व्यवस्था का संचालन करने हेतु संसद भवन और विधान सभा भवन में नीति, नियम और कानून बनाने की शक्ति प्रदान करती है , लेकिन सरकार और सत्ता पाते ही जनता पर अपना हुकुम चलाते हैं , और नियम और कानून सिर्फ बस सिर्फ जनता के लिये ही प्रभावी होते है, उन पर या उनके नौकर शाहों पर नहीं , भोली भाली जनता नेताओं की लच्छेदार बातों में उलझ कर रह जाती है । और अगले चुनाव का इंतजार करती है।
यही नहीं अब हमारे देश में तो धर्म, जाति, और भेद, भाव का ऐसा मकड़जाल बुन कर रख दिया गया है कि लोग उस मकड़जाल में ही उलझ कर रह गये हैं , और इसका मात्र एक ही मकसद होता है कि “एन केन प्रकारेण” सत्ता पर काबिज़ होना उसके लिये चाहे कुछ भी करना पड़े , जिसमें अंग्रेजों का फॉरमूला “डिवाइड एण्ड रुल” का इस्तेमाल हमारे देश में सहजता से प्रयोग होता है।
हम आज अपने आपको आजाद कहते हैं लेकिन अंग्रेज हमें जाते – जाते एक खतरनाक विष दे कर गये हम विष के प्रकोप से आज भी ग्रसित है , वो विष जानते हैं क्या है ?
वो विष है हिन्दू और मुसलिम (भारत और पकिस्तान) , वो बखूबी जानते थे कि ये वो जहर है जो न तो जीने ही देगा न ही मरने देगा। जिसका वो जाते-जाते बाखूबी से इस्तेमाल करके गये हैं। ऐसा नहीं कि अब हमारे देश में अशिक्षित लोग ही बसते हैं , अब हमारे देश में भी साक्षर लोगों की भरमार है फेशबुक , व्हाट्स अप , ट्वीटर जैसे सॉफ्टवेयर का भी पूर्ण इस्तेमाल करना बाखूबी जानते हैं।
लेकिन आज तक अपनी बुद्धि विवेक की ताकत का सही समय पर सही इस्तेमाल करना नहीं सीख पाये । ये तो सभी जानते है कि सत्ता पाने के लिये बेटा बाप का और भाई – भाई का कत्लेआम करना तो जग जाहिर है , और हमारे देश में जयचन्द्र की भी कमी नहीं है। वो घन – दौलत और ऐसो आराम के साथ-साथ शक्तिशाली बनने की चाहत से अपना सब कुछ नीलाम करने को आतुर रहते हैं।
अब कब तक ऐसे ही चापलूस, मतलब परस्त सत्ता लुलोभियों के चंगुल में फसकर इनके इशारे पर कठपुतली की तरह नांचते रहेंगें ? अब वक्त गया है कि हमें अब ऐसे लोंगों को चुनने से पहले विचार नहीं करना चाहिये कि हम जिसे चुनने जा रहे हैं तो वो किस पार्टी का है या हम किस पार्टी को खाश मानते हैं , इस आधार पर हमे अव बार बार नहीं फसना चाहिये , हमें तो सिर्फ इस बात का विचार करना चाहिये की वो उस पद पर खरा उतरेगा के नहीं , वो कितना योग्य है , उसकी योग्यता कितनी है , उसके विचार क्या हैं ? उसका व्यक्तित्व कैसा है। वो समाज के लिये कितना योग्य है , व समाज को किस नजरिये से देखता है।
अब इन सभी बिन्दुओं पर विचार ही नहीं बल्कि परपक्वता के साथ निर्णय लेने का वक्त आ गया है , साथ ही यदि देश को सबल , समृद्ध बनाना है तो उसके लिये शिक्षित समाज को बढ़ कर आगे आना होगा और समाज में जागरूक्ता लानी होगी , हमारे ऊपर बाहुबलि (अपराधी), अशिक्षित और अत्याचारी ही शासन करते हैं ।
इसकी मुख्य वजह ही यही है कि शिक्षित और पढ़ा लिखा समाज सिर्फ बस सिर्फ नौकरी के लिये भागता है, और इन जैसे कुछ लोग देश को अस्थिर करने पर लगे रहते है , और हम आपस में सारा सारा दिन इन बातों पर बहस करके निकाल देते हैं तब विकास नही हो रहा था अब विकाश हो रहा है । यदि पढ़ा लिखा समाज आगे आकर इसमे अपना योग्य स्थान हासिल नहीं करेगा या इसमें भाग नही लेगा तो हम ऐसे माहौल में जीने को मजबूर होते रहेगें । आज शिक्षित युवाओं की इसमें अपनी भागीदारी करने का वक्त आ गया है। तभी जा कर हमारा देश सबल और समृद्ध हो सकेगा।
क्या ये विचार करने योग्य है कि नही ?
यदि जो विपक्ष सिर्फ महंगाई को मुद्दा बना कर , और मँहगाई का मुख्य वजह पेट्रोल और डीजल को बनाती रही हो , कि पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम की वजह से ट्रॉन्सपोर्टेशन में वृद्धि होती है और जिसकी वजह माल ढुलाई में भी बृद्धि होती है ।
जिसकी वजह से साग-सब्जी, खाने पीने की रोजमर्या की वस्तुयें महंगी होना स्वभाविक है , जब किसान को बीज मंहगा मिलेगा , सिचाई के लिये पम्प चलाने के लिये डीजल महंगा मिलेगा , जब खाद (फटलाईजर) महंगी मिलेगी तो किसान की लागत भी ज्यादा हो जायेगी तो वो भी उसे महंगा ही बेचेगा के नहीं ?
तो सरकार में आने के बाद अब उसके सुर क्यों बदले हैं ?
तो सवाल ये उठता है कि डीजल और पेट्रोल हमारी मंहगाई की मुख्य वजह है कि नही ?
सरकार खाने पीने की रोजमर्या की वस्तुओं पर GST लगाकर बच्चे-बच्चे से कर वसूल करने पर अमादा है।
जो महंगाई पर सीधा असर डालती है तो उस डीजल और पेट्रोल पर GST को क्यों कर नही लागू करना चाहती है ?
क्या सरकार तेल कम्पनियों को अप्रत्यक्ष रुप से फायदा नहीं पहुंचाया रही है ?
जब यूपीए सरकार के समय अन्तराष्ट्रीय बाजार में 120 डॉलर प्रति बैरल कच्चे तेल की कीमत थी तब वो 80-82 रुपये प्रति लीटर मिल रहा था ।
तो जब अन्तराष्ट्रीय बाजार में 50% से 55% कच्चे तेल की कीमत हो गयी तो पेट्रोल और डीजल की कीमत क्यों कम नही हुई ?
यदि पेट्रोल और डीजल में भी GST लगा दी जाये तो पेट्रोल और डीजल के रेट में भारी गिरावट आ जायेगी , तो सरकार इस पर GST क्यों नही लगा रही ?
देश में दिल्ली , गुजरात , गोवा अदि राज्यों में सबसे सस्ता डीजल और पेट्रोल मिलता है , वहीं देश में मुम्बई में सबसे महंगा डीजल और पेट्रोल क्यों ?
और यदि GST लागू कर दी जाये तो पूरे देश में पेट्रोल और डीजल का रेट एक ही हो जायेगा की नहीं ? तो मुम्बई कर क्यूँ कर , डीजल और पेट्रोल पर ज्यादा चुकाये कर ?
क्यों कर विकास की दुहाई दी जा रही है सरकार –
सरकार के मंत्री के अनुसार, सरकार को बड़े पैमाने पर राजमार्ग और सड़क विकास योजनाओं, रेलवे के आधुनिकीकरण एवं विस्तार, ग्रामीण स्वच्छता, पेय जल, प्राथमिक स्वास्थ्य तथा शिक्षा का वित्त पोषण करना है. इन मदों में आबंटन उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है. तो इसके लिए संसाधन कहां से मिलेगा।
लेकिन क्या गरीबों का गरीबों के बच्चों का पेट काट कर ये सारे विकास कार्य किये जायेंगे ? क्या अमीरों की जेब में भी हाथ डालेगी सरकार ? सरकार की नजर में 20% सरकारी नौकरी पेशा वाले लोग दिखते हैं उनका ध्यान भी पे कमीशन के माध्यम से रखा जाता है । लेकिन किसान , मजदूर , और असंगठित क्षेत्र श्रमिकों का क्या ?
Related