यदि अभी भी पत्रकार नहीं जागे और चाटुकारिता में लिप्त रहे तो कलम को छोड चापलूशी में ही शेष जीवन को करना पडेगा व्यतीत ! नेताओं की चमकू राजनीति पर बनेंगी गाईडलाइन्स, सत्ता के खातिर जाति, धर्म और मज़हब का चश्मा बाटने वालों के लिये बनेंगे कायदे-कानून ?
-रवि जी. निगम
नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल मीडिया के संबंध में लाए गए दिशा निर्देशों पर चिंता जाहिर की है। गिल्ड ने कहा है कि इन दिशा-निर्देशों से उन तौर तरीकों में बदलाव होगा जिनके तहत इंटरनेट पर पब्लिशर खबरें प्रकाशित करते हैं और इसे भारत में मीडिया की स्वतंत्रता का उल्लंघन होने की भी आशंका है।
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गैर-तार्किक पांबदिया लगने की आशंका
गिल्ड ने एक प्रेस नोट में भारत सरकार द्वारा इंफार्मेशन टेक्नालॉजी एक्ट 2000 के तहत जारी और अधिसूचित डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड पर गहरी चिंता जताई है। गिल्ड ने कहा है कि इन दिशा-निर्देशों से केंद्र सरकार को देश में कहीं भी प्रकाशित किसी भी खबर को ब्लॉक करने, उसे डिलीट करने या बदलाव करने का अधिकार मिल जाएगा वह भी बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया का पालन किए हुए। इसके अलावा इन गाइडलाइंस में पब्लिशर्स को एक शिकायत निवारण प्रक्रिया अपनाने के लिए भी बाध्य किया जा रहा है। इन दिशा-निर्देशों से डिजिटल न्यूज मीडिया और पूरे मीडिया पर गैर-तार्किक पांबदिया लगने की आशंका है।
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पत्रकारों से मशविरा नहीं
गिल्ड ने इस बात पर चिंता जताई है कि सरकार ने दीर्घ प्रभाव वाले इन नियमों को जारी करने से पहले मीडिया संस्थानों या पत्रकारों से कोई सलाह-मशविरा नहीं किया। एडिटर्स गिल्ट ने कहा है कि सरकार को सोशल मीडिया पर नियंत्रण के नाम पर देश के संविधान के तहत मीडिया को मिली आजादी पर पाबंदियां लगाने से पहले विचार करना चाहिए क्योंकि मीडिया लोकतंत्र का अहम स्तंभ है। इस प्रेस नोट को एडिटर्स गिल्ड की अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार सीमा मुस्तफा, महासचिव संजय कपूर और कोषाध्यक्ष अनंत नाथ की तरफ से जारी किया गया है।
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