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‘अमेरिका के लोगों के लिए मैंने कनाडा के बारे में जो भी कहा वो काफी नया ’, बोले विदेश मंत्री जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर फिलहाल अमेरिका पहुंचे हुए हैं। यहां उन्होंने कहा कि वह भारत-कनाडा विवाद पर अमेरिका की प्रतिक्रिया से अवगत हैं। साथ ही दोनों पक्षों ने इस मामले पर एक-दूसरे के विचारों को स्पष्ट किया है।

वाशिंगटन में शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जयशंकर ने कहा, ‘कनाडा-भारत विवाद पर मैंने सुना कि अमेरिकियों का क्या कहना है। उम्मीद है कि उन्होंने भी सुना होगा कि इस पर मेरा क्या मानना है। मुझे लगता है कि हम दोनों ने अपने-अपने विचार व्यक्त कर दिए हैं। इसलिए मुझे सच में नहीं पता इसके अलावा मैं और क्या कह सकता हूं।’ 

उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में बड़ा मुद्दा कनाडा में हिंसा और चरमपंथ की घटनाओं के संबंध में सहनशीलता है, जिसे भारत द्वारा उठाया गया है।

उन्होंने कहा, ‘कोई भी घटना अलग-थलग नहीं होती। हर चीज के लिए एक संदर्भ होता है और कई समस्याएं होती हैं, इसलिए व्यक्तिगत मामलों के मामले में, मुझे लगता है कि संबंधित सरकारों को एक-दूसरे से बात करनी होगी और देखना होगा कि वे इसे कैसे आगे ले जाते हैं। जयशंकर ने कहा, ‘बड़ा मुद्दा एक ओर झुकाव या एक विशेष के प्रति सहमति है और इसे ही उठाया गया है।’

उन्होंने कहा कि अगर आप भारत में किसी से कहेंगे कि कनाडा में कुछ लोग हैं, जो हिंसा भड़का रहे हैं, तो उन्हें कोई आश्चर्य नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां का इतिहास रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि इसे सभी भारतीयों ने नोटिस किया है, जबकि उन्हें यह महसूस हुआ कि अमेरिका में बहुत कम लोगों को यह पता है। उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे लगता है कि आज कि बैठक में मैंने जो भी कहा वो अमेरिका के लोगों के लिए काफी नया था।’

जयशंकर ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि इस मामले पर अमेरिका के पास भारत का भी दृष्टिकोण है, क्योंकि उसके ओटावा और नई दिल्ली दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं।

उन्होंने कहा, ‘जब अमेरिका कनाडा को देखता है तो उन्हें कुछ दिखता है, जब हम भारत में कनाडा को देखते हैं तो हमें कुछ और दिखाई देता है और यह समस्या का एक हिस्सा है, इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम अमेरिकियों के साथ इस पर बात करें। आखिरकार, वे हमारे अच्छे दोस्त हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इस मामले पर हमारा नजरिया भी जानें।’

उन्होंने आगे कहा, ‘हमने जो रुख अपनाया है वह उचित है। आखिरी बार कब हमारे किसी मिशन को इस हद तक धमकाया गया था कि वह अपना सामान्य कामकाज जारी नहीं रख सका था? अगर कोई कहता है कि जी7 देश में, राष्ट्रमंडल देश में ऐसा हो सकता है, तो यह आपको सोचने के लिए बहुत कुछ देता है।’

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