अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट, लंदन से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र रायुलयौम के संपादकीय में चीन और अमेरिका की शक्ति के बारे में एक जायज़ा पेश किया गया है जो भारत के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है क्योंकि वह चीन का पड़ोसी है।
जो बाइडन भी अगर ट्रम्प के ही पदचिन्हों पर चलते हुए चीन को अमेरिका के लिए सब से बड़ा खतरा घोषित करें तो इस पर किसी को हैरत नहीं होनी चाहिए। अमेरिका चीन को इस लिए भी अपने लिए सब से बड़ा खतरा समझ रहा है क्योंकि वह बड़ी तेज़ी के साथ अपनी आर्थिक और राजनीतिक शक्ति बढ़ा रहा है और उतनी ही तेज़ी के साथ दुनिया की सब से बड़ी ताक़त के सिंहासन की ओर बढ़ रहा है।
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पिछले शनिवार को अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट एजेन्सी की एक रिपोर्ट में बताया गया कि चीन ने नौसेना के क्षेत्र में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है। यह रिपोर्ट सीएनएन पर प्रसारित की गयी। रिपोर्ट के अनुसार चीन, अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की सब से बड़ी नौसैनिक शक्ति बन गया है। इस समय चीन के पास 360 नौसैनिक टुकड़ियां हैं जिनमें से हरेक में अपने यु्द्धपोत, परमाणु पनडुब्बी और पानी पर उतरने वाले विमान आदि हैं जबकि अमेरिका के पास 250 यूनिट्स ही हैं।
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चीन की रणनीति, कई आयामों से आगे बढ़ रही है। पहली तो यह उसका आधार मज़बूत अर्थ व्यवस्था पर है। दूसरे उसके पास परमाणु व मिसाइल सैन्य शक्ति है। तीसरा उसके पास साइबर और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस हथियार हैं। चीन की यह रणनीति अब अपने अंतिम चरण पर है और यही वह चीज़ है जिसने अमेरिका की नींद उड़ा दी है।
चीनी बड़ी खामोशी से और पूरे आत्मविश्वास के साथ काम कर रहे हैं और अधिकांश पश्चिमी विशेषज्ञों का कहना है पंद्रह वर्षों के दौरान चीन दुनिया की सब से बड़ी आर्थिक शक्ति बन जाएगा और चीन का युवान दुनिया की सब से अधिक प्रयोग की जाने वाली करेंसी बन जाएगा जिसके बाद निश्चित रूप से डालर का वर्चस्व खत्म हो जाएगा जिसने दूसरे विश्व युद्ध के बाद से पूरी दुनिया पर राज किया है।
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अमेरिका अर्थ व्यवस्था कोरोना वायरस की वजह बहुत सी समस्याओं से जूझ रही है लेकिन चीन कई महीने पहले से ही इस वायरस से छुटकारा प्राप्त कर चुका है। चीन इस महामारी पर लगाम लगाने में पूरी तरह से सफल हो चुका है। यही नहीं उसके आर्थिक विकास की रफ्तार भी अनुमान से अधिक तेज़ है। यही नहीं उसने दुनिया के कई देशों को मुफ्त में कोरोना का टीका भेज कर उन देशों की जनता में लोकप्रियता भी हासिल कर ली है।
चीन पर ट्रम्प ने जो प्रतिबंध लगाए हैं उस की चीन को आदत हो गयी है और उसका तोड़ भी उसने निकाल लिया है जैसा कि पश्चिमी देशों की रिपोर्टों में बताया गया है बल्कि अगर हम यह कहें कि इन्ही प्रतिबंधों की वजह से भी उसने अपनी शक्ति बढ़ायी है तो गलत नहीं होगा।
शी जिन पिंग का नाम अच्छी तरह से याद रखें इसके साथ ही उनके विदेशमंत्री का नाम भी दिमाग में रखें क्योंकि बहुत जल्द हर जगह यह नाम लिया जाएगा।