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आजम खां, उनकी पत्नी और विधायक पुत्र समेत नौ पर मुकदमा,शत्रु संपत्ति हड़पने का आरोप ।

न्यूज डेस्क(उत्तर प्रदेश)लखनऊ: लखनऊ निवासी अल्लामा जमीर नकवी की ओर से दर्ज मुकदमे में आरोपितों पर शत्रु संपत्ति को कागजों में हेराफेरी करके जौहर यूनिवर्सिटी में मिलाने का आरोप है। सपा सांसद आजम खां और नौ लोगों के खिलाफ शत्रु संपत्ति कब्जाने के आरोप में सोमवार को अजीमनगर थाने एक और मुकदमा दर्ज हुआ है। थाना प्रभारी अमरीश कुमार का कहना है कि रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है, विवेचना के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। लखनऊ के ठाकुरगंज हुसैनबाड़ी अंतर्गत नारायन गार्डन निवासी अल्लामा जमीर नकवी की ओर से दर्ज मुकदमे में आरोपितों पर शत्रु संपत्ति को कागजों में हेराफेरी करके जौहर यूनिवर्सिटी में मिलाने का आरोप है।

इस मुकदमे में सांसद के अलावा उनकी पत्नी राज्यसभा सदस्य डॉ. तनीज फात्मा, उनके विधायक पुत्र अब्दुल्ला आजम, उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूखी, बोर्ड के सदस्य लखनऊ के शीशमहल निवासी मजहर अली खां, सैयद गुलाम सय्यदैन, बोर्ड के सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी रहमत हुसैन जैदी और रामपुर के मुहल्ला अट्टा अल्ला नूर निवासी मुतवल्ली मसूद खां को आरोपी बनाया गया है।

यह है मामला

जौहर यूनिवर्सिटी सपा सांसद आजम खां का ड्रीम प्रोजेक्ट है। यूनिवर्सिटी के लिए शत्रु संपत्ति कब्जाने का आरोप है। यह संपत्ति 13.842 हेक्टेअर है। इसे रामपुर के इमामुद्दीन कुरैशी की दर्शाया गया है, जो विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए थे। इस तरह उनकी संपत्ति को सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया था। यह शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज है। शिकायत पर जांच हुई तो पता चला कि यहां इमामुद्दीन कुरैशी नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता था। इस नाम के व्यक्ति लखनऊ के कोतवाली सआदत गंज क्षेत्र में दीनदयाल रोड स्थित मुहल्ला अशर्फाबाद में रहते थे, जो विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए। जब वह मूल रूप से लखनऊ के रहने वाले थे तो उनके नाम पर रामपुर में संपत्ति कहां से आ गई और किस तरह राजस्व अभिलेखों में अंकित भी हो गई।

सपा सरकार में मंत्री पद का दुरुपयोग करने का भी आरोप

अजीमनगर थाने में दर्ज मुकदमे में आरोप है कि जौहर यूनिवर्सिटी को लाभांवित करने के मकसद से यह कागजी हेराफेरी की गई है। आजम खां ने इस बहुमूल्य संपत्ति को पाने के लिए शिया सेंट्रल बोर्ड के अध्यक्ष व अन्य की मदद से यह हेराफेरी की है। तब वह प्रदेश सरकार में मंत्री थे। अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सेंट्रल बोर्ड के अध्यक्ष व अन्य लोगों के साथ मिलकर एक सोचे समझे षड्यंत्र के तहत ऐसा किया है। इसके लिए मसूद खां को नियम विरुद्ध तरीके से वक्फ का मुतवल्ली भी बनाया गया।

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