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आपकी अभिव्यक्ति : बीजेपी का कर्नाटक में 1O4 सीट को लेकर जश्न मनाना कहाँ तक जायज ? जब प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में जन हानि हुई हो, प्रधान मंत्री का संवेदना व्यक्त करना ही काफी ? —- रवि जी. निगम

वनारस – जब प्रधान मंत्री के संसदीय क्षेत्र में निर्माणाधीन पुल के ढहने के बाद कितनों की मौत हो गयी हो, जहाँ जनता शासन और प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगा रही हो। और पचास से ज्यादा की मौत चश्मदीद बता रहे हों । जहाँ एक अधिकारी का बयान है कि सौ से अधिक हो सकती है मृतकों की संख्या ।

यही नहीं जहाँ पुल की बीम के नीचे आधी बस , कई कार , ऑटो , कई बाईक दबी हों , जहाँ पब्लिक के बार – बार सूचना देने के बाद सहायता करने एक से डेढ़ घण्टे बाद प्रशासन पहुँचा हो , जिसे क्रेन से निकलना भी असंभव हो गया हो , और एनडीआरएफ की टीम ने भी बताया कि कुछ छः / आठ लोग अभी भी जिन्दा दबे हुये हैं , जिन्हें पहले बचाना हमारी प्राथमिकता ।

जहाँ इतना सब चल रहा हो तो क्या एक जिम्मेदार प्रधानमंत्री होने के नाते उनके द्वारा बीजेपी के जश्न को कम से कम उस समय तो टाला जा ही सकता था। भले ही पार्टी अपने जश्न को मानाती । क्या जन हानि से ज्यादा सत्ता की जीत का जश्न जरूरी ?

क्या प्रधानमंत्री का संवेदना व्यक्त कर देना काफी या मुख्यमंत्री योगी द्वारा मृतकों को पाँच लाख रूपये और घायलों को दो लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान कर देना या मामले की जाँच के लिये कमेटी गठित कर देना काफ़ी ?

जहाँ राहत कार्य में वही जनता लगी हो जिसने प्रधानमंत्री को जिताकर संसद में भेजा हो, क्या मृतकों का प्रधानमंत्री को वोट नहीं मिला ? क्या बीजेपी के कार्यकर्ता सिर्फ जनता से वोट मांगना ही जानते हैं ? क्या उन्हे बचाव कार्य में मदद नहीं करनी चाहिये ? क्या उनके दुख में शामिल नहीं होना चाहिये ?

– मानवाघिकार अभिव्यक्ति

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