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आयरन डोम के बाद अब आयरन बीम लाया इस्राइल, पलक झपकते ही आसमान में लक्ष्य को बनाएगा निशाना

इस्राइल की एडवांस आयरन बीम लेजर रक्षा प्रणाली अगले साल चालू होने की संभावना है, जिससे उसकी रक्षा क्षमता और मजबूत हो सकता है। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस्राइल के रक्षा मंत्रालय ने हफ्ते घरेलू रक्षा कंपनियों राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स और एल्बिट सिस्टम्स के साथ 500 मिलियन डॉलर से अधिक के अनुबंध में निवेश किया है। 

आयरन बीम क्या है?
आयरन बीम, आयरन डोम के साथ विकिसत की गई एक रक्षा प्रणाली है, जो मिसाइलों, ड्रोन, रॉकेट और मोर्टार जैसे विभिन्न हवाई खतरों को खत्म करने के लिए डिजाइन की गई है। इस्राइल के अधिकारियों का कहना है कि यह प्रणाली युद्ध के एक नए युग की शुरुआत करेगा, क्योंकि इस्राइळ को ईरान और उसके सहयोगियों से ड्रोन और मिसाइल खतरों का सामना करना पड़ रहा है। 

क्या कह रहे अधिकारी?
इस्राइल के रक्षा मंत्रालय के निदेशक जनरल एयाल जमीर ने हाल ही में कहा, यह बताता है कि युद्ध के एक नए युग की शुरुआत हो गई है। यह जमीन आधारित लेजर प्रणाली अगले एक साल में चालू होने की उम्मीद है। इस प्रणाली का प्रोटोटाइप पहली बार 2021 में दिखाया गया था और तब से इसका विकास लगातार जारी है। आयरन बीम पर चर्चा ऐसे समय में हो रही है, जब इस्राइल गाजा और लेबनानान में सैन्य कार्रवाई कर रहा है और ईरान के साथ भी तनाव की स्थिति में है। 

आयरन बीम कैसे काम करता है?
यह एक उच्च-शक्ति वाली लेजर प्रणाली है, जो लक्ष्यों को निशाना बनाकर उन्हें तबाह करती है। यह सौ मीटर से लेकर कई किलोमीटर की दूर  से काम कर सकती है। यह इस्राइल की वर्तमान मिसाइल रणनीति से अलग है, जो रडार से पहचान के बाद इंटरसेप्टर मिसाइलों को लॉन्च करने पर निर्भर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि लेजर-आधारित रक्षा प्रणाली आयरन डोम से बेहतर प्रदर्श दे सकती है और यह ज्यादा किफायती और प्रतिक्रिया देने वाली होगी। 

इसके लिए चुनौतियां क्या हैं
आयरन डोम रॉकेट और मिसाइलों को प्रभावी ढंग से नष्ट करता है। लेकिन वह ड्रोन के लिए उतना सफल नहीं है, क्योंकि ड्रोन का आकार छोटा होता है और उनकी पहचान करना मुश्किल होता है। मौसम की स्थितियां भी आयरन बीम के लिए एक बड़ी चुनौती हैं, क्योंकि बादल, बारिश और धुंध इसके लक्ष्यों को पहचानने की क्षमता को कम कर सकते हैं।

दुनियाभर में लेजर रक्षा प्रणालियां
अनेक देशों ने विभिन्न लेजर रक्षा प्रणालियां विकसित की हैं। अमेरिका की नौसेना ने हवाई जहाजों को नष्ट करने के लिए उच्च शक्ति वाले लेजर का परीक्षण किया है। जबकि ब्रिटेन ने हवाई रक्षा के लिए ड्रैगन फायर पेश किया है। पेंटागन के मुताबिक, चीन और रूस भी उपग्रहों को निशाना बनाने वाली लेजर तकनीक पर काम कर रहे हैं। 

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