Site icon Manvadhikar Abhivyakti News

आरक्षण की मजबूरी, पत्नी को लड़ाना हुआ जरूरी

सदर ब्लाक में घूघट में बैठी महिला प्रत्याशी। संवाद

सदर ब्लाक में घूघट में बैठी महिला प्रत्याशी

कन्नौज(यूपी) त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण ने कई दावेदारों का गणित बिगाड़ दिया। इससे सियासत से वास्ता न रखने वाली कई महिलाओं को पति की इच्छा पर चुनाव समर में कूदना पड़ा।
गुरुवार को सदर ब्लाक में ऐसा ही नजारा देखने को मिला। यहां जलालपुर कटरी बांगर की कई महिलाएं घूंघट की ओट में नामांकन करने पहुंचीं। नामांकन की लाइन लंबी होने की वजह से यह पेड़ की छाया में बैठ गईं। पूछताछ में एक महिला दावेदार ने बताया कि राजनीति से दूर-दूर तक वास्ता नहीं है। वह पढ़ी-लिखी भी नहीं हैं। अपना नाम लिख लेती हैं केवल
बताया कि पहले हुए आरक्षण में पुरुष सीट थी। पति ने चुनाव की काफी पहले तैयारी शुरू कर दी थी। इसमें काफी रुपये खर्च हो गए थे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद महिला सीट हो गई। चुनाव जीतने की संभावना होने पर पति ने उन्हें लड़ा दिया। मजबूरी में नामांकन करना पड़ रहा है। चौका-चूल्हे में व्यस्त रहने से बाहर निकलने का समय नहीं मिलता है। वहीं यह भी कहा कि जनता ने गांव की कमान सौंपी तो जिम्मेदारी से निभाएंगी। 
चुनाव के लिए छोड़ दी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी 
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में लोगों ने प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी है। इसकी वजह से लोग नौकरी छोड़ने लगे हैं। उमर्दा ब्लाक की ग्राम पंचायत खानपुर में निशा देवी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। इन्होंने ग्राम पंचायत का चुनाव लड़ने के लिए ब्लाक विकास परियोजना अधिकारी सुधा रावत को त्याग पत्र सौंप दिया। इसके बाद ग्राम प्रधान पद के लिए नामांकन किया।

Exit mobile version