कुछ महीनों से मैं देख रहा हूं कि वसई विरार शहर मनपा अंतर्गत सभी जगह अवैध निर्माण बड़े जोर शोर से शुरू है। आये दिन पत्रकार अपने अपने अखबार में छापते है, ग्रुप में वीडियो फ़ोटो पोस्ट करते है लेकिन शासन प्रशासन के कान पर जू तक नही रेंगती।सह आयुक्त खुलेआम अवैध निर्माण को सरंक्षण करते नजर आते है। विविएमसी के प्रमोटेड आईएएस ,आयुक्त श्री सतीश लोखंडे जी पत्रकारों की जागरूकता और जानकारी का आभार व्यक्त करने की बजाय वह पत्रकारों से मिलने से ही दूर भागते है।उल्टाजवाब देते है कि शहर में 5 लाख से ज्यादा अवैध निर्माण है ,मैंने सब तोड़ने का ठेका लिया है क्या? जितना होगा उतना करेंगे, मेरे पास दूसरा कोई काम नही है क्या? बहुत हो गया अब चलो।……आगे से मेरे पास अवैध निर्माण के खिलाफ शिकायत लेकर कोई नही आएगा। मैं बोर्ड लगाने वाला हूं ।अवैध निर्माण का सब अतिरिक्त आयुक्त साब देखेगे! —— उन्होंने कुछ नही किया तभी तो आपके पास आये !
बोला न मेरे पास नही आने का वोही सब देखेंगे।
ऐसा जवाब पत्रकार और जन प्रतिनिधि और समाज सेवक को देता है। ताज्जुब है !!!!!
यह जवाब संवेदनहीनता प्रकट करता है।क्योंकि जब नीचें के अधिकारी कई कई महीनों तक भी अपना काम नही करते तो लोग उच्च अधिकारी अर्थात लोखंडे साहब से कई – कई घंटे मिलने का इंतजार करने के बाद जब उनसे मिले तो उनका इस तरह से जवाब देही से पल्ला झाडलेना और उल्टा जवाब देना बेशर्मी है,और उनकी कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े करता है। क्या कोई सचमुच आईएएस पास अधिकारी ऐसा आम कर्मचारी जैसा घटिया जवाब दे सकता है!
आख़िर क्या कारण है कि चारों तरफ अवैध निर्माण काम चालू है और शिकायत कर्ता की कुछ भी सुने बिना भगा दिया जाता है।क्यो? क्या मजबूरी हो सकती है इनकी ?
जो किसी अवैध निर्माण और अधिकारी की शिकायत नही सुनना चाहते !
—– कहीं ऐसा तो नही सब मिलजुलकर……छे छे छे! …….ऐसा नही होगा।
—- तो फिर सबको लूटने का …..? अरे नही…नही।
—– तो फिर जो खर्चा हुआ होगा …..वो वसूल…….।
अरे ये सब नही रे बाबा।
—– तो जरूर फिर मैनेज……
अरे नही . ….उनको शायद काम का अनुभव ! जमता नही होगा।
—- तो ये तो फिर हमारे शहर का दुर्भाग्य हुआ न। भाइयों मुझे लगता है कि आप लोगों के डेली – डेली छापने और दिखाने से बड़े साहब परेशान हो गये है। या तो आप अवैध बांधकाम के बारे में छापना और दिखाना बंद कर दो । या फिर झुंड बनाकर हल्ला बोल दो और तोड़क कार्यवाही ठीक से नही करे तो जाने मत दो ।भले ही फिर सब पर केस क्यो न हो जाये।
क्योंकि जब सर्वोच्च पद पर बैठा अधिकारी ही कुछ नही करे तो क्या
एक- एक अवैध निर्माण तुड़वाने के लिये मा. न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा? या फिर हरदम तंबू गाड़कर मनपा मुख्यालय के समक्ष धरना देना पड़ेगा?
(द्वारा व्हाट्सअप )