- देश-विदेश – ओमान की खाड़ी में ज़ायोनी शासन से संबंधित एक समुद्री जहाज़ में हुए धमाके ने इस्राईल और सऊदी अरब के गुप्त संबंधों पर से पर्दा हटा दिया है और संभावना जताई जा रही है कि इस पर टैंक और बक्तरबंद गाड़ियां लदी हुई थीं।
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गुरुवार को ज़ायोनी शासन से संबंधित एक समुद्री जहाज़, जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि वह मालवाहक था और मोटरगाड़ियों से लदा हुआ था, सऊदी अरब की दम्माम बंदरगाह से इमारात की ओर रवाना होने के बाद, एक धमाके के कारण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। इस धमाके के बाद ज़ायोनी अधिकारियों ने बिना कोई प्रमाण दिए हुए दावा किया कि इस जहाज़ पर हमले में ईरान का हाथ है। हालांकि ब्रिटेन ने आरंभ में दावा किया कि यह उसका समुद्री जहाज़ है लेकिन बाद में यह बात स्पष्ट हो गई कि उक्त जहाज़ इस्राईल का था और उसका मालिक, इस्राईली गुप्तचर सेवा मूसाद के प्रमुख यूसी कोहेन का एक निकटवर्ती है।
इस समुद्री जहाज़ में धमाके के बाद ज़ायोनी अधिकारियों के इस दावे को भी पश्चिमी मीडिया ने बहुत कवरेज दी कि इसमें ईरान का हाथ है और कुछ संचार माध्यमों ने यह संभावना भी जताई कि ईरान ने बदला लेने के लिए यह कार्यवाही की है। इस्राईल के इस समुद्री जहाज़ में धमाके के बारे में कई बातें ध्यान योग्य हैं। पहली बात तो यह कि अगर यह धमाका, किसी हमले की वजह से हुआ है तो यह हमला यह दर्शाता है कि प्रतिरोध की इकाइयां, इस्राईल के बारे में सटीक सूचनाएं रखती हैं और उसकी आक्रामक कार्यवाहियों के जवाब में कभी भी और कहीं भी उसे ठोस जवाब दे सकती हैं।
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दूसरी बात यह है कि चूंकि अमरीका की नई सरकार ने सऊदी अरब को हथियार बेचने से इन्कार कर दिया है और कहा है कि वह यमन पर सऊदी अरब के हमले का समर्थन नहीं करेगी, इस लिए संभावित रूप से इस समुद्री जहाज़ पर इस्राईल के लिए टैंक व बक्तरबंद गाड़ियां लदी रही होंगी।
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तीसरी बात यह है कि दम्माम बंदरगाह पर इस समुद्री जहाज़ के लंगर डालने से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि इस्राईल से संबंध न होने के बारे में सऊदी अरब का दावा पूरी तरह से झूठा है और ट्रम्पज़िम के त्रिकोण के दो कोण यानी मुहम्मद बिन सलमान और नेतनयाहू अब भी गुप्त रूप से संबंध बनाए हुए हैं। इससे पहले भी कई ज़ायोनी अधिकारी 23 नवम्बर 2020 को नियोम में बिन सलमान से नेतनयाहू की मुलाक़ात की सूचना दे चुके हैं जिस पर सऊदी अरब के अधिकारियों ने रोष प्रकट किया था। अब इस्राईली जहाज़ के दम्माम बंदरगाह पर लंगर डालने की बात सामने आने के बाद इसमें कोई शक नहीं रह गया है कि तेल अवीव व रियाज़ के बीच संबंध हैं।