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उच्च शिक्षा प्रणाली के बारे में पुन: विचार करने और उसका पुनर्निर्माण करने की जरूरत है: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने 21वीं शताब्दी की जरूरतों के अनुसार उच्च शिक्षा प्रणाली के बारे में पुनः विचार करने और उसका पुनर्निर्माण करने की जरूरत पर जोर दिया। आज क्रेया विश्वविद्यालय का उद्घाटन करते समय, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रतिष्ठित संस्थानों का उद्देश्य गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने के अलावा किसी व्यक्ति के समग्र विकास को सुनिश्चित करने का भी होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि क्रेया विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों को वैश्विक मंच पर प्रतिभा और विशिष्टता अर्जित करने के लक्ष्य के अलावा त्वरित प्रगति और समग्र विकास की तलाश में हमारी अच्छी भावना से सेवा करनी चाहिए। उन्होंने ऐसी शिक्षा प्रणाली उपलब्ध कराने में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के प्रभावशाली समन्वय का आह्वान किया। सरकार को एक मजबूत समन्वयक की भूमिका निभानी चाहिए और अपने अन्य प्रयासों को पूरक बनाना चाहिए। श्री नायडू ने कहा कि पर्याप्त उच्च गुणवत्ता के शोधकर्ता न होने और पीएचडी करने वाले छात्रों की संख्या में कमी होने तथा शोध पदों में प्रवेश न करना चिंता का विषय था। भारत जैसी घनी आबादी और गरीबी से लेकर पर्यावरण में गिरावट आने जैसी अनेक चुनौतियों का सामना करने वाला देश नवाचार के बिना कुछ भी नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को नवाचार का केंद्र बनना चाहिए और उन्हें आक्रोश, निराशा और भेदभाव पैदा करने वाला स्थल नहीं बनना चाहिए। एक विश्वविद्यालय को ज्ञान का स्थल, सकारात्मक विचारों का अभयारण्य और ज्ञान तथा बुद्धि का सुरक्षित आश्रय होना चाहिए। इस बारे में चिंता व्यक्त करते हुए कि भारत दुनिया के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों के मानकों की तुलना में अभी भी बहुत पीछे है श्री नायडू ने कहा कि 2018 में भी भारत का कोई भी विश्वविद्यालय क्यूएस विश्वविद्यालय रैंकिंग में 100 श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की सूची में जगह हासिल करने में सक्षम नहीं हुआ। अमेरिकी और यूरोपीय विश्वविद्यालय अभी भी इस सूची में सर्वश्रेष्ठ स्थान पर कायम हैं। श्री नायडू ने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालय धन की कमी, पर्याप्त संख्या में शिक्षक न होने और नामांकन संख्याओं में गिरावट आने जैसी अनेक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। अधिक आकर्षक कैरियर विकल्पों, स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए पर्याप्त सुविधाओं की कमी और वर्तमान पीढ़ी के प्रोफेसरों और शिक्षकों की सेवानिवृत्ति ने उच्च शिक्षा के हमारे केंद्रों में स्टाफ की कमी पैदा कर दी है। श्री नायडू ने कहा कि 2022 तक भारत में 700 मिलियन कुशल जनशक्ति की मांग होने की उम्मीद को देखते हुए भारत को युवाओं और छात्रों को नियोजित कौशल से युक्त बनाना होगा। इस तरह के कदमों से न केवल हम जनसांख्यिकीय लाभ प्राप्त कर सकेंगे, बल्कि इससे भारत को विश्व की ‘कौशल राजधानी’ बनाने में भी मदद मिलेगी।

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