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एयरबस मुद्दे पर अमरीका और यूरोप में ठनी, अमरीका की क़ानूनी जीत, यूरोप ने दी वार्निंग।

रिपोर्ट – सज्जाद अली नायाणी

“एयरबस” का ग़ैर क़ानूनी समर्थन करने पर यूरोपीय संघ की 7 अरब 50 करोड़ डॉलर के उत्पादों पर अमरीका को वार्षिक टैरिफ़ लगाने की अनुमति दे दी।

विदेश – एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार डब्ल्यूटीओ ने अपने इतिहास में सबसे बड़ी सज़ा सुनाते हुए अमरीका को टैरिफ़ की इजाज़त दे दी जिससे यूरोपीय संघ के साथ तनाव के शिकार व्यापारिक संबंधों में नया और ख़तरनाक मोड़ आ गया है।

यूरोपीय संघ ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए किसी भी प्रकार की अमरीकी कार्यवाही की ओर से सचेत किया है।

ब्रसल्ज़ से जारी बयान में कहा गया है कि अगर अमरीका, डब्लयूटीओ की इजाज़त से कोई क़दम उठाता है तो वह यूरोपीय संघ को उस मोड़ की ओर ढकेल देगा जहां हमारे पास इस प्रकार का जवाब देने के अतिरिक्त कोई दूसरा रास्ता नहीं होगा।

ज्ञात रहे कि इस केस की शुरुआत 2004 में हुई थी जब अमरीका ने ब्रिटेन, फ़्रांस, जर्मनी और स्पेन पर आरोप लगाए थे कि एयरबस के कई उत्पादों में सहयोग के लिए ग़ैर क़ानूनी सब्सीडीज़ दी गयी हैं।

डब्लयूटीओ में इस केस की पिछले कई वर्षों से विभिन्न स्तरों पर सुनवाई हुई जो उसकी जटिल व्यवस्था से गुज़रा और संस्था ने आख़िरकार अपने इतिहास का बड़ा फ़ैसला सुना दिया।

रिपोर्ट के अनुसार डब्लयूटीओ के इस फ़ैसले पर अब कोई अपील भी नहीं की जा सकती जबकि अमरीका को पहली बार यूरोपीय संघ के उत्पादों पर सीधे प्रतिबंध लगाने का क़ानूनी हक़ मिल गया है और यह प्रतिबंध जारी महीने के अंत तक लगाए जा सकते हैं।

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