तीनों कानून पर रोक लगाने को लेकर किसान संगठन कर रहे मंथन
तीनों कानून पर रोक, क्या ये मसौदा सच मायने में केंद्र सरकार द्वारा खुले मन से दिया गया है या फिर तीनों कानूनों को किसानों द्वारा मान्यता प्राप्त किये जाने की अंदर खाने कोई रणनीत के तहत प्रस्तावित किया गया है, क्या ये मसौदा तीनों कानून को किसानों द्वारा स्विकरोक्ति प्रदान कराने की सोंची समझी रणनीति के तहत तो नहीं है, क्योंकि सरकार इस पर एफिडेविट बनाकर सुप्रीम कोर्ट को देने को तैयार है, क्योकि जिस तरह सरकार, कोर्ट, पुलिस और किसान और अब तीनों कानून पर रोक के बीच जो देखने और सझने को मिल रहा है उससे तो ऐसा ही प्रतीत होता है।
तीनों कानून पर रोक यदि जो महशूस हो रहा है वो तो ऐसा ही कुछ आगे घटित हो सकता है कि सरकार कन्ही डेढ़ साल के बाद कानून को पुन: स्थापित कर कानूनी पेंच में किसानों को न उलझा दे और ये दावा करे कि उन्होने कानून खत्म नहीं डेढ़ साल के लिये तीनों कानून पर रोक का प्रस्ताव दिया था, जिसे लेकर किसान संगठनों ने मसौदा मान्य किया था अर्थात अब ये किसानों द्वारा मन्य कानून है, यदि ये सत्यता नहीं है तो क्या वापस किसानों को इस पर आंदोलन करने अनुमति होगी ? क्या किसानों को वापस इसी जद्दो-ज़हद से ज़ूझना होगा ? कई सवाल हैं जो विचारणीय हैं।
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नई दिल्ली: केंद्र और किसान नेताओं के साथ आज दसवें दौर की बातचीत हुई। इसमें केंद्र एक से डेढ़ साल तक नए कृषि संबंधी कानूनों पर रोक लगाने को तैयार हो गई है। किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा, बैठक में 3 कानूनों और MSP पर बात हुई। सरकार ने कहा हम 3 कानूनों का एफिडेविट बनाकर सुप्रीम कोर्ट को देंगे और हम एक से डेढ़ साल के लिए रोक लगा देंगे। एक कमेटी बनेगी जो 3 क़ानूनों और एमएसपी का भविष्य तय करेगी। हमने कहा हम इस पर विचार करेंगे। किसान केंद्र के प्रस्ताव पर 22 जनवरी को जवाब देंगे।
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वहीं, बातचीत के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, आज हमारी कोशिश थी कि कोई निर्णय हो जाए। किसान यूनियन क़ानून वापसी की मांग पर थी और सरकार खुले मन से क़ानून के प्रावधान के अनुसार विचार करने और संशोधन करने के लिए तैयार थी।
किसान नेताओं ने सरकार के साथ 10वें दौर की वार्ता के बाद जानकारी देते हुए कहा, सरकार ने कहा है कि हम कोर्ट में एफिडेविट देकर क़ानून को 1.5-2 साल तक होल्ड पर रख सकते हैं। कमेटी बनाकर चर्चा करके, कमेटी जो रिपोर्ट देगी, हम उसको लागू करेंगे।
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तोमर ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय के लिए कृषि सुधार कानूनों को स्थगित किया है। सरकार 1-1.5 साल तक भी क़ानून के क्रियान्वयन को स्थगित करने के लिए तैयार है। इस दौरान किसान यूनियन और सरकार बात करें और समाधान ढूंढे।”