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क्या सुशांत मामले में मुंबई पुलिस, कूपर अस्पताल और महाराष्ट्र सरकार की शाक़ को धब्बा लगाने वाले दूर-दूर तक अफवाह फैलाने को मांफी नहीं मांगनी चाहिये ?

-रवि जी. निगम

सामाजिक कार्यकर्ता / संपादक

मुंबई – क्या चीख-चीख कर चिल्लाने से सच को झुठलाया जा सकता है ? आज जो अपने अफवाहों से सच्चाई को दूर-दूर तक… फैलाने में देश का वो देश भक्त मीडिया जवाबदार नहीं है जिसने चैनलों पर मीडिया ट्रायल चला रखी थी, जबकि जांच जारी थी ? जिसने देश की ही नहीं विदेश में अपनी शाक़ रखने वाली पुलिस की शाक़ को ही देश ही नहीं अपितु विदेश में भी गिराने का काम किया ? क्योंकि ये सिर्फ चिल्ला-चिल्लाकर सच ही दिखाते हैं, जो अपने सच के आगे कुछ भी नहीं दिखाते, तो जब झूंठ को सच का तमांचा पडा तो अब झूंठ को भी सच बताने से नहीं हिच-किचाते ?

रही बात CBI की तो देश की सुप्रीम पॉवर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी निगरानी में जांच को आगे बढाया, लेकिन देश भक्त ये क्यों भूल जाते हैं कि ये सियासी हितलाभ के चलते इसे बिहार में रजिस्टर नहीं किया गया ? जिसका फायदा रॉबिनहुड ने लिया ? क्या जो इसका झंडा बुलंद कर रहे थे, अब उन सभी को चैनल में बिठाकर बहस की जायेगी ? जिसकी वजह से मुंबई के प्रतिष्ठित अस्पताल की जांच को शंका और संदेह के घेरे में लाकर मुंबई के प्रतिष्ठित अस्पताल और डॉक्टरों की गरिमा को धूमिल करने का दुष्साहस किया गया ?

इतना ही नहीं क्या ये सिर्फ राजनीति के चलते महाराष्ट्र की सरकार को अस्थिर करने का प्रयास नहीं था ? क्या अब उसे चिल्ला-चिल्लाकर अपने आपको पाक-साफ साबित करने का प्रयास नहीं जारी है ? क्या इससे भक्तीभाव पर पर्दा डालने की कोशिस है ? क्या दिल्ली टू मुंबई लैंड करने वाले रिवाइण्ड करके अपनी छवि को फिर से निहारेंगे ? वो जो चापलूसी का पाठ पढाने पर अमादा थे / हैं ?

महाराष्ट्र सरकार व पुलिस को नहीं चाहिये कि वो अब अगली बार भक्तों से विचार-विमर्श करके ही फैसला लें ?

इस लिये ही मेरा देश महान हैं , क्योंकि हम सिर्फ सच ही दिखाते हैं…. क्या देश को ज्वलंत मुद्दे से भटकाने का काम जारी है…?

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