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गूगल प्रतिस्पर्धा रोकने को हर साल खर्च कर रहा 20 अरब डॉलर, अमेरिकी न्याय विभाग के वकीलों का दावा

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दिग्गज सर्च इंजन गूगल से जुड़े उच्च स्तरीय अविश्वास मुकदमे में अमेरिकी न्याय विभाग के वकीलों ने अपनी समापन दलील में दावा किया कि गूगल मोनोपोली (एकाधिकार) के लिए हर साल 20 अरब डॉलर से अधिक खर्च करता है। दूसरी ओर गूगल ने जोर देकर कहा कि वह अपने उपभोक्ताओं की खोजी गई जानकारी का तुरंत और बेहतर परिणाम उपलब्ध कराता है। यही उसकी सर्वव्यापकता और उत्कृष्टता का कारण है। उच्च स्तरीय अविश्वास मुकदमे में दोनों पक्षों की दलीलें शुक्रवार को पूरी हो गई।

अब अमेरिकी जिला जज अमित मेहता अगली सुनवाई में अपना फैसला सुनाएंगे। भारतवंशी जज यह तय करेंगे कि क्या गूगल ने सर्च इंजन एकाधिकार को हासिल करने के लिए नियमों का पालन किया है या नहीं। यह बीते दो दशकों का सबसे बड़ा अविश्वास मुकदमा है। यह मुकदमा इस बात के इर्द-गिर्द घूमता है कि एपल जैसी कंपनियों के साथ सेलफोन और कंप्यूटर पर प्रीलोडेड डिफॉल्ट सर्च इंजन बनने के करार से गूगल को कितना फायदा होता है। 10 हफ्ते से अधिक चली सुनवाई के दौरान जहां इस बात के सबूत मिले कि गूगल ऐसे करारों पर सालाना 20 अरब डॉलर से अधिक खर्च करता है। वहीं अमेरिकी न्याय विभाग ने दावा किया कि इतनी बड़ी रकम यह दर्शाती है कि गूगल के लिए डिफॉल्ट सर्च इंजन बनना कितना जरूरी है। उसकी यह महत्वाकांक्षा बाजार में एकाधिकार हासिल करने का पैंतरा है। 

उपभोक्ताओं को हमसे बेहतर सेवा मिले तभी तो वे दूसरे सर्च इंजन पर जाएंगे
गूगल के वकील जॉन श्मिटलीन ने दावा किया कि उसकी सेवा सबसे बेहतर है। किसी भी सर्च पर वह सबसे बेहतर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराता है। यही कारण है कि उपभोक्ता उसे चुनते हैं। गूगल ने कहा कि अगर उन्हें किसी अन्य सर्च इंजन पर हमसे बेहतर सेवा मिलेगी तो वह निश्चित ही उसे चुनेंगे, लेकिन ऐसा होता नहीं है। यही गूगल की उत्कृष्टता है और प्रतिद्वंदियों से वह आगे है।

श्मिटलीन ने यह भी तर्क दिया कि सर्च इंजन बाजार को लेकर सरकार का नजरिया बहुत संकीर्ण है। हालांकि बिंग और याहू जैसे अन्य सर्च इंजन भी प्रमुख स्थान रखते हैं, लेकिन जब उपभोक्ता सर्च करते हैं तो इन सर्च इंजनों को गूगल की तुलना में प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।

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