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गोपाल कांडा का चुनाव जीतना उसे अपराधों से बरी नहीं करता : उमा भारती

हरियाणा – सिरसा से चुनाव जीते गोपाल कांडा ने बिना शर्त भाजपा को समर्थन देने की बात कही है।  भाजपा को समर्थन देने के बाद उमा भारती ने सिलसिलेवार कई ट्वीट करके गोपाल कांडा के समर्थन का विरोध किया है।

गोपाल कांडा की ओर से भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दिये जाने पर भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने कहा है कि हरियाणा में हमारी सरकार ज़रूर बने, लेकिन यह तय करिए कि जैसे भाजपा के कार्यकर्ता साफ-सुथरी ज़िंदगी के होते हैं, हमारे साथ वैसे ही लोग हों।  द वायर के अनुसार भाजपा की वरिष्ठ नेता ऊमा भारती ने कहा है कि ‘गोपाल कांडा बेक़सूर है या अपराधी, यह तो क़ानून साक्ष्यों के आधार पर तय करेगा, किंतु उसका चुनाव जीतना उसे अपराधों से बरी नहीं करता।  उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के बहुत सारे फैक्टर होते हैं।’ उमा भारती ने आगे कहा कि मैं पार्टी से अनुरोध करूंगी कि हम अपने नैतिक अधिष्ठान को न भूलें।

ज्ञात रहे कि हरियाणा के सिरसा से मात्र 602 वोटों से जीतने वाले गोपाल कांडा ने कहा है कि ‘हमने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश विकास की ओर अग्रसर है, देश फल-फूल रहा है। वैसे ही हरियाणा प्रदेश अच्छे से चले।  सभी निर्दलीय विधायकों ने भाजपा के शीर्ष नेताओं से बात करके, बिना किसी शर्त अपना समर्थन भाजपा को दे दिया है।  गोपाल कांडा ने कहा कि मेरा परिवार आरएसएस से जुड़ा हुआ है।  मेरे पिता 1926 में आरएसएस में थे और उन्होंने देश का पहला चुनाव लड़ा था।  हमने प्रदेश में अगली सरकार बनाने के लिए भाजपा को बिना किसी शर्त के समर्थन दिया है।’

ज्ञात हो कि पुलिस की ओर से दाखिल आरोपपत्र में गोपाल कांडा पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने), धारा 471 (धोखाधड़ी), और उत्पीड़न सहित आईपीसी की कई अन्य घाराएं लगाई हैं।  इसके अलावा आईटी अधिनियम की धारा 66 भी लगाई गई है।  आरोपपत्र में कांडा पर गीतिका का गर्भपात कराने का भी आरोप था।

मालूम हो कि 23 साल की गीतिका, गोपाल कांडा की एयरलाइंस कंपनी में काम करती थीं।  साल 2012 में गीतिका का शव उनके अशोक विहार स्थित घर में फंदे से लटका मिला था।  गीतिका के सुसाइड नोट में गोपाल कांडा और उसकी कंपनी की एक अन्य कर्मचारी अरुणा चड्ढा को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया था।  उस समय कांडा, हरियाणा राज्य की हुड्डा सरकार में गृह राज्यमंत्री थे।  इस मामले को लेकर उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।  इसके बाद गोपाल कांडा ने सरेंडर किया और 18 महीने जेल में रहे।  पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से उन्हें ज़मानत मिली और इसके बाद कांडा ने लोकहित पार्टी का गठन किया।  साल 2016 में गोपाल कांडा और उनके भाई गोविंद कांडा के खिलाफ अवैध संपत्ति रखने के भी आरोप लगे थे।

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