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गोरखपुर में जाली दस्तावेज से पासपोर्ट बनवाने का भंडाफोड़, एक गिरफ्तार।

रिपोर्ट-विपिन निगम

गोरखपुर(यूपी): गोरखपुर के शाहपुर और गोरखनाथ पुलिस ने जाली दस्तावेज पर पासपोर्ट बनवाने के नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। गोरखनाथ पुलिस ने पासपोर्ट बनवाने के लिए तैयार की गई हाईस्कूल की जाली मार्कशीट के साथ एक युवक को गिरफ्तार किया है, जबकि शाहपुर पुलिस ने पासपोर्ट कार्यालय के पास एक दलाल के कार्यालय में छापेमारी कर जाली दस्तावेज, मुहर और फर्जी पासपोर्ट बरामद किया है। गोरखनाथ पुलिस ने युवक और शाहपुर पुलिस ने दलाल तथा उसकी फर्म के विरुद्ध अलग-अलग मुकदमा पंजीकृत किया है।

मेडिकल कॉलेज रोड पर बशारतपुर में स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के आसपास कुछ दलालों के फर्जी दस्तावेजों की मदद से पासपोर्ट बनवाने की शिकायत मिली थी। इस पर क्षेत्राधिकारी क्राइम प्रवीण सिंह ने डीएम से सर्च वारंट जारी कराकर शाहपुर पुलिस के साथ क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के आसपास पांच दलालों के कार्यालयों में शनिवार शाम छापेमारी की। इस दौरान बड़ी संख्या में संदिग्ध दस्तावेज, हाईस्कूल की मार्कशीट, पासपोर्ट, आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र सहित अन्य कागजात बरामद हुए थे। जांच-पड़ताल में एक दलाल के सनसाइबर सिटी के नाम से संचालित कार्यालय से फर्जी दस्तावेज पर तैयार सात पासपोर्ट, एक हार्डडिस्क, आधार कार्ड, बड़ी संख्या मार्कशीट, कैंट थाने की मुहर समेत अन्य कई आपत्तिजनक कागजात बरामद हुए। यहां से बरामद हाईस्कूल की मार्कशीट की जांच करने पर फर्जीवाड़ा कर मार्कशीट बनाए जाने का पता चला।

बरामद पासपोर्ट भी फर्जी मार्कशीट और दस्तावेज से बनवाए गए थे। सनसाइबर सिटी के नाम से कार्यालय चलाने वाले दलाल का नाम व पता मालूम नहीं हो सका। इस मामले में शाहपुर इंस्पेक्टर अरुण पवार की तहरीर पर दलाल के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है। सनसाइबर सिटी के अलावा केजी वेस्टर्न यूनियन, धनवंतरी इंटर प्राइजेज, आलम ट्रेवल्स और शर्मा फोटो कॉपियर्स के नाम से संचालित कार्यालय और दुकानों में भी छापेमारी की गई थी, लेकिन पुलिस के मुताबिक वहां से बरामद दस्तावेजों में कोई आपत्तिजनक चीज नहीं मिली है।

नाम बदलकर बनवाया था मार्कशीट, पुलिस ने दबोचा

उधर, गोरखनाथ पुलिस ने नकहा ओवरब्रिज के पास से रविवार को गश्त के दौरान एक संदिग्ध युवक को पकड़कर तलाशी ली तो उसके पास से हाईस्कूल की दो मार्कशीट बरामद हुई। उसकी पहचान शाहपुर के धर्मपुर निवासी अमित कुमार यादव के रूप में हुई। पड़ताल में पुलिस वालों को उसके पास मिली मार्कशीट में कुछ हेरफेर किए जाने का संदेह हुआ। इस आधार पर कड़ाई से पूछताछ पर उसने मार्कशीट पर छात्र और उसके पिता का नाम बदलने की बात कबूल की। पुलिस के मुताबिक युवक ने फर्जी मार्कशीट का इस्तेमाल पासपोर्ट बनवाने के लिए करने की बात स्वीकार की। इस पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। गोरखनाथ पुलिस उसके नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है। गोरखनाथ थाने के उप निरीक्षक राजप्रकाश सिंह की तहरीर पर युवक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ है।

मार्कशीट छात्राओं की, लिखे थे युवकों के नाम

गोरखनाथ पुलिस के हत्थे चढ़े आरोपित के पास बरामद मार्कशीट में एक जनता इंटर कॉलेज छावनी, बस्ती से जारी की गई थी। उस पर अनुक्रमांक 1784759 और छात्र का नाम हजरत अली अंकित था। दूसरी मार्कशीट बापू इंटर कॉलेज नौतनवां, महराजगंज से जारी की गई थी। उस पर अनुक्रमांक 1587456 और छात्र का नाम मोहम्मद इमरान दर्ज था। यूपी बोर्ड की वेबसाइट से दोनों मार्कशीट की जांच की गई तो हजरत अली के नाम से मिली मार्कशीट ज्योति पटेल और मोहम्मद इमरान के नाम की मार्कशीट अनुष्का तिवारी की निकली।

इसलिए चल रहा है फर्जी दस्तावेज पर पासपोर्ट का कारोबार

पूर्वी उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में युवा रोजगार की तलाश में विदेश खासकर खाड़ी देश में जाते रहते हैं। जिन देशों में लोग रोजगार के लिए जाते हैं, उनमें से अधिकतर देशों ने वर्किंग वीजा के देने के लिए हाईस्कूल की योग्यता अनिवार्य कर दी है। इसके चलते हाईस्कूल तक की पढ़ाई न कर पाने वालों को वर्किंग वीजा नहीं मिल पा रहा है। उन्हें वर्किंग वीजा की अर्हता दिलाने के लिए दलालों ने हाईस्कूल की जाली मार्कशीट तैयार कर पासपोर्ट बनवाने का कारोबार शुरू कर दिया।

पुराना है फर्जी दस्तावेज पर पासपोर्ट बनवाने का खेल

फर्जी दस्तावेज और पते पर पासपोर्ट बनवाने का खेल पुराना है। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी कार्रवाई के नाम पर केवल कोरम पूरा करते हैं। 31 नेपाली नागरिकों के पासपोर्ट बनवाकर गायब होने की जांच चार साल से फाइलों में फंसी है। बेलीपार और बड़हलगंज क्षेत्र में भी फर्जी पासपोर्ट बनवाने के कई मामले सामने आ चुके हैं।

वर्ष 2005 से 2009 के बीच शहर के कूड़ाघाट, शाहपुर के पते पर 91 नेपाली मूल के लोगों ने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था। इसमें पुलिस, एलआइयू के वेरीफिकेशन के बाद 60 लोगों को पासपोर्ट मिला था। भारत-नेपाल मैत्री समाज के तत्कालीन अध्यक्ष रहे मोहन लाल गुप्ता (अब दिवंगत) ने 2009 में अधिकारियों को प्रार्थना पत्र देकर फर्जी पते पर नेपाली नागरिकों के पासपोर्ट बनने की शिकायत की थी। जांच में आरोप सही मिला। पासपोर्ट बनवाने वाले 36 लोग रिकार्ड में दर्ज पते पर नहीं मिले। पूछताछ पर आसपास के लोगों ने भी जानकारी से इन्कार कर दिया। एलआइयू और पुलिस कर्मियों के कार्रवाई की जद में आने पर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। शासन में शिकायत के बाद वर्ष 2014 में नए सिरे से जांच हुई, जिसमें कैंट क्षेत्र के पते पर 26 और शाहपुर के पते पर पासपोर्ट बनवाने वाले पांच लोग दोषी मिले थे। 15 जुलाई,2015 को कैंट पुलिस व तीन दिन बाद शाहपुर पुलिस ने पासपोर्ट बनवाने वाले नेपाली नागरिकों पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर जालसाजी करने और 17 पासपोर्ट अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया। आरोपियों में 25 महिलाएं हैं।

इन पर दर्ज है मुकदमा

सीमा राना, कल्पना थापा, मेनका थापा, विमला थापा, रामा गुरुंग, सीमा, सीमा पुत्री नरेश, कमला, प्रिया गुरुंग, सोनिया गुरुंग, आशा, आरती श्रेष्ठ, प्रीति गुरुंग, हेमा, संतोषी गुरुंग, कुमारी रमा थापा, गंगा थापा, आशा थापा, कल्पना गुरुंग, माया, रीता सुब्बा ,रूपा लामा, सिंधु रियल, संगीता गुरुंग, सूरज राना, अनिल गुरुंग।

छह पते से हुए थे आवेदन

पासपोर्ट बनवाने के लिए जीआरडी गेट, चंडी भवन, दुर्गा भवन, कूड़ाघाट, यादव निवास, जगरनाथ भवन के पते का इस्तेमाल किया गया था। इस पते पर कुल 53 नेपाली नागरिकों ने आवेदन किए थे, जिसमें 36 लोगों को स्थानीय निवासी बताते पुलिस और एलआइयू के अधिकारियों ने पासपोर्ट जारी करने की संस्तुति की थी।

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