हालिया दिनों उन इतालवी बुज़ुर्गों की कहानी बड़े शौक़ से पढ़ी और सुनी जा रही है जो 100 साल से अधिक उम्र होने के बावजूद कोरोना को मात देने में सफल रहे जबकि इटली में इस वायरस ने भारी तबाही मचा दी।
विदेश – यह बुज़ुर्ग इटली के अलग अलग शहरों में रहते हैं। इनमें एक बात समान है कि इनकी याददाश्त मज़बूत है और बहुत मामूली सुविधाओं के साथ भी बहुत ख़ुश रहते हैं। कुछ को अख़बार पढ़ने का शौक़ हो, कुछ को टहलने का शौक़ है और कुछ को खेल प्रतियोगिताएं देखने में मज़ा आता है।
कोरीरी दीला सीरा अख़बार ने इन बुज़ुर्गों की कहानी पर ध्यान दिया। अख़बार के अनुसार अलबर्टो पिलोशी 101 साल के हैं जिन्होंने दूसरे विश्व युद्ध में भी हिस्सा लिया और जर्मन सैनिकों के हाथों दो बार क़ैदी बने मगर भाग निकलने में सफल रहे। वह भी कोरोना से संक्रमित हो गए और रीमीनी शहर के अस्पताल में दो हफ़्ता रहे मगर कोरोना को भी हराकर अस्पताल से बाहर आ गए।
आदा ज़ानोसो की उम्र 16 अगस्त को 104 साल हो जाएगी। वह दुबली नज़र आती हैं लेकिन इरादे की बड़ी पक्की हैं। वह तूरीनो शहर के क़रीब एक वृद्धाश्रम में रहती हैं। ज़ानोसो विश्व मीडिया के ध्यान का केन्द्र बनी थी क्योंकि मार्च में कोरोना से संक्रमित होने के बाद वह अस्पताल में भर्ती हुईं और दो सप्ताह में ठीक होकर डिसचार्ज हो गईं। उनके घर वाले कहते हैं कि वह मज़बूत इरादे की मालिक हैं और उनका स्वभाव बहुत अच्छा है। वह हमेशा कुछ न कुछ पढ़ती रहती हैं।
इतालीका ग्रोन्डोना को संगीत से लगाव है। वह 102 साल की हैं। मैच देखने में उन्हें बहुत आनंद आता है। वह हर खेल देखती हैं मगर फ़ुटबाल बिल्कुल पसंद नहीं है। उनके परिवार के एक सदस्य ने बताया कि वह खाने पीने की भी बहुत शौक़ीन है। उन्हें फ़रवरी में कोरोना हो गया मगर ठीक होकर अस्पताल से बाहर आ गईं।
लुम्बार्डिया के करीमोना शहर के रहने वाले माइकल एंजेलो स्कोटीला 97 साल के हैं वह भी कोरोना से संक्रमित होने के बाद दो हफ़्ता अस्पताल में रहे और अब ठीक होकर बाहर आ चुके हैं। वह नौसेना में कमांडर रह चुके हैं। उन्हें पढ़ने और टीवी देखने का बहुत शौक़ हैं।
स्रोतः अलजज़ीरा, इतालवी मीडिया (द्वारा पी. टी.)