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ट्रम्प का भारत दौरा : सरकार घावों को मरहम लगाने के बजाए बस उसे छिपाने की कोशिश में !

फाईल चित्र

भारत सरकार अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के भारत दौरे की तैयारियां कर रही है …तो उसे एहसास हो रहा है कि बहुत से क्षेत्रों में बहुत कुछ करना अभी शेष रह गया है।

मीडिया में यह ख़बर आई कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आगरा आगमन को ध्यान में रखते हुए यमुना नदी की पर्यावरणीय स्थिति में सुधार के लिए मांट नहर के रास्ते मथुरा में 500 क्यूसेक गंगाजल छोड़ा गया है। वहीं इससे पहले अहमदाबाद में झुग्गी-बस्तियों के सामने दीवार खड़ी करने की ख़बरें आई थीं।

अधिकारी कहते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आगरा आगमन को ध्यान में रखते हुए मांट नहर के रास्ते 500 क्यूसेक गंगाजल मथुरा में छोड़ा गया है। यह पानी अगले तीन दिन में मथुरा और उसके 24 घण्टे बाद 21 फरवरी की दोपहर तक आगरा पहुंचेगा। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि यदि आगरा में यमुना नदी के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 500 क्यूसेक गंगाजल छोड़ा गया है तो वह निश्चित रूप से प्रभाव डालेगा। इतना होने पर यमुना का पानी पीने योग्य भले ही न हो पाए, परंतु उसके दुष्प्रभाव व बदबू में तो कमी होने की आशा कर सकते हैं।

दि वायर की रिपोर्ट के अनुसार मथुरा में यमुना की स्वच्छता के लिए काम कर रहे श्रीमाथुर चतुर्वेद परिषद के गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी का कहना है कि गंगा से पानी छोड़कर कुछ खास लाभ नहीं होने वाला। इससे भले ही एक दिन के लिए सरकार की लाज बच जाए लेकिन कुछ नहीं बदलेगा। गंदगी शायद दूर हो जाए लेकिन बदबू दूर होने की संभावना बिल्कुल नहीं है।

ट्रम्प अहमदाबाद में ‘हाउडी मोदी’जैसे एक कार्यक्रम को संबोधित करने वाले हैं। ट्रंप पहले साबरमती आश्रम जाने वाले हैं और फिर वहां से इंदिरा ब्रिज के रास्ते हाल ही में बने मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम तक जाना चाहेंगे। स्टेडियम जाने के रास्ते में कुछ दूर तक झुग्गी-बस्तियां हैं, जिसे छिपाने के लिए गुजरात सरकार द्वारा सड़क के किनारे-किनारे ऊंची दीवार बनाई गई है। कहा गया था कि यह दीवार इसलिए बनाई गई ताकि भारत दौरे पर आ रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ये झुग्गी-झोपड़ियां न दिखें। अहमदाबाद नगर निगम ने नवनिर्मित मोटेरा स्टेडियम के पास एक झुग्गी में रहने वाले 45 परिवारों को बेदखली के नोटिस भी दिए हैं।

सवाल यह है कि इस प्रकार के महत्वपूर्ण दौरों के समय तो गहन समीक्षा की जाती है कि कौन सी नदी गंदी है, कहां बदबू आ रही है, कहां झुग्गियां हैं, कहां कुपोषण से ग्रस्त लोग रहते हैं लेकिन जैसे ही दो या तीन दिवसीय दौरा पूरा हुआ सरकार की प्राथमिकताएं कुछ और हो जाती हैं। सरकार के दावे देखिए तो वह सबसे ज़्यादा ग़रीबों के लिए चिंतित नज़र आएगी लेकिन चाल चलन देखिए तो उसके सारे दावे खोखले महसूस होंगे।

किसी भी मेहमान नेता की आवभगत के लिए तैयारी और साफ़सफ़ाई का काम अच्छी बात है लेकिन भारत सरकार जो कर रही है वह गहरे घावों पर दवा लगाने के बजाए कपड़ा डाल देने का काम है जिससे घाव ठीक नहीं होगा बल्कि उसकी पीड़ा बढ़ेगी।

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