नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत के दौरान टीआईपीआरए मोथा प्रमुख प्रदीयोत देबबर्मा ने कहा कि पार्टी ने एक समिति गठित की है, जो अगले 45 दिनों में उनके संगठन के संविधान, झंडे और नाम पर चर्चा करेगी। देबबर्मा ने कह,
“हमने एक समिति बनाई है जो हमारे मार्गदर्शक सिद्धांतों, संविधान, झंडे और नाम आदि पर विचार करेगी। यह समय है कि हम सब एक साथ आएं और अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के लिए संघर्ष करें। यदि भारत को एक मजबूत राष्ट्र बनना है, तो देश के हर हिस्से को समान प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि समिति का उद्देश्य एक ऐसा ढांचा तैयार करना है जो पूर्वोत्तर भारत के जनजातीय समुदायों की पहचान और अधिकारों को और अधिक मजबूती प्रदान करे।
कोनराड संगमा ने बताया समिति का उद्देश्य
वहीं, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने भी इस पहल पर जानकारी देते हुए कहा,
“हमारे पास अलग-अलग राजनीतिक दल हैं, लेकिन अब ये सभी दल एक साथ आकर एक साझा पहचान बनाना चाहते हैं। इसी उद्देश्य से एक समिति बनाई गई है, जो अगले 45 दिनों में आयोजित चर्चाओं और आपसी समझौतों पर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया का केंद्र सरकार से कोई सीधा संबंध नहीं है और यह पहल क्षेत्रीय स्तर पर राजनीतिक एकता को मजबूत करने की दिशा में है।
यह कदम पूर्वोत्तर क्षेत्र के कई आदिवासी और क्षेत्रीय दलों के बीच एक साझा राजनीतिक मंच तैयार करने की दिशा में देखा जा रहा है, जो स्थानीय मुद्दों — जैसे स्वायत्तता, सांस्कृतिक पहचान और प्रतिनिधित्व — पर केंद्रित रहेगा।

