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दाइश और अलक़ायदा को मिल गए हैं टैंकों को ध्वस्त कर देने वाले मिसाइल जो आधुनिक अमरीकी टैंकों को भी भेद सकते हैं, क्या हैं आशंकाएं ।

रिपोर्ट – सज्जाद अली नायने

विदेश – अमरीकी अख़बार वाल स्ट्रीट जरनल ने यह आशंका जताई है कि मध्यपूर्व के इलाक़े में युद्धों के दौरान भयानक विध्वंसकारी हथियारों की भरमार कर दी गई और यह हथियार अमरीकी सेना के आधुनिक टैंकों को भी ध्वस्त कर देने में सक्षम हैं।

यह विध्वसंकारी हथियार चरमपंथी संगठनों के हाथ लग गए जिसकी सूचना ख़ुद अमरीकी अधिकारियों को भी थी लेकिन पूर्व अमरीकी विदेश मंत्री जान कैरी के अनुसार अमरीका यह सोच रहा था कि यदि यह हथियार चरमपंथी संगठनों को पहुंच रहे हैं तो भी कोई बात नहीं है पहले सीरिया की बश्शार असद सरकार को गिरा लिया जाए उसके बाद स्थिति से निपटने का कोई रास्ता निकाल लिया जाएगा।

वाल स्ट्रीट जरनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह हथियार अब भी अलग अलग जगहों पर मौजूद आतंकियों के हाथों में नज़र आ रहे हैं और इस बात का डर है कि कहीं आतंकी संगठन इन हथियारों को अमरीका के ही ख़िलाफ़ इस्तेमाल न करने लगें। अख़बार ने इस पूरे मामले में सबसे बड़ा ज़िम्मेदार अमरीका को भी माना है और साथ ही कुछ अन्य देशों पर भी आरोप लगाने की कोशिश की है लेकिन सच्चाई यह है कि अमरीका तथा उसके घटकों ने ही यह हथियार आतंकी संगठनों को बांटे थे।

अमरीका ने वर्ष 2013 में अमरीका की ओर से सीरियाई विद्रोही संगठनों को हथियारों की सप्लाई का कार्यक्रम शुरू किया  था जिसे राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने सत्ता संभालने के बाद रोक दिया इस कार्यक्रम के तहत हथियार जिन विद्रोहियों को दिए गए या तो वह दाइश और अलक़ायदा में शामिल हो गए या लड़ाई में दाइशी व अलक़ायदा के आतंकियों ने उनसे यह हथियार छीन लिए।

रक्षा अध्ययन की अमरीकी संस्था स्ट्रैटफ़ोर के विशेषज्ञ उमर लमरानी ने कहा कि दाइश और अलक़ायदा के हाथों में इस समय अमरीकी राकेट मौजूद हैं और इस बात की पूरी संभावना है कि सीरियाई विद्रोहियों को दिए गए यह अमरीकी राकेट ख़ुद अमरीका के ख़िलाफ़ ही प्रयोग किए जाएं।

पेंटागोन के लिए रिसर्च का काम करने वाली अमरीका की रैंड नामक संस्था के विशेषज्ञ जान गोर्डन का कहना है कि जो हथियार आतंकियों के हाथ लगे हैं उनसे अमरीका की कोई भी बक्तरबंदी गाड़ी या टैंक सुरक्षित नहीं है।

इस्राईल ने एक इलेक्ट्रानिक सिस्टम डेवलप किया था जिसे टैंकों और बक्तरबंद गाड़ियों में लगाया जातना था। यह यंत्र किसी भी मिसाइल के क़रीब होने की दशा में अलार्म दे देता था। पेंटागोन ने इस्राईल की रिसर्च के आधार पर इसका व्यापक निर्माण किया मगर फिर उसे पता चला कि यह सिस्टम भी काफ़ी नहीं है।

इन बहसों से यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अमरीका ने दाइश और अलक़ायदा की मदद करके कितनी भयानक ग़लती की है। अमरीका तो इस इलाक़े से हज़ारों किलोमीटर दूर है मगर उसे भी अपनी बक्तरबंद गाड़ियों के लिए इन राकेटों का ख़तरा महसूस हो रहा है तो फिर जो देश मध्यपूर्व के इलाक़े में मौजूद हैं उनके लिए यह कितनी बड़ी समस्या वाली स्थिति है।

अमरीका की इन्हीं नीतियों के कारण डोनल्ड ट्रम्प चुनावी अभियान में कहते थे कि दाइश की स्थापना किसी और ने नहीं राष्ट्रपति बाराक ओबामा ने की।

अमरीका ने मध्यपूर्व में बहुत ख़तरनाक खेल खेला जबकि इससे पहले वह अफ़ग़ानिस्तान में भी यही मौत का खेल खेल चुका है जिसका ख़मियाज़ा आज तक पाकिस्तान भी भुगत रहा है और अफ़ग़ानिस्तान भी जबकि अमरीका को न अफ़ग़ानिस्तान में कुछ मिल पाया और न ही मध्यपूर्व से उसे कुछ हासिल होने वाला है।

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