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दुनिया और भारत पर कच्चे तेल के गिरती क़ीमतों का क्या होगा असर ? क्या मोदी सरकार जनता को देगी राहत ? या तेल कंपनियां होंगी माला-माल!

अंतर्राष्ट्रीय तेल बाज़ार में कच्चे तेल के दामों में इन दिनों ऐसी गिरावट देखने को मिल रही है जैसी पिछले 30 वर्षों में नहीं देखी गई। दाम 20 प्रतिशत गिर कर 35 डॉलर प्रति बैरल के आस पास आ गए हैं।

देश-विदेश – सऊदी अरब और रूस के बीच कच्चे तेल के उत्पदान में कटौती को लेकर शुरू हुई अनबन ने अंतर्राष्ट्रीय तेल और शेयर बाज़ारों को हिला कर रख दिया है। हुआ यह कि दुनिया में तेल के सबसे बड़े निर्यातक सऊदी अरब ने एक तरह की जंग छेड़ दी। पिछले सप्ताह सऊदी अरब ने कोरोना वायरस की वजह से तेल की मांग में हुई कमी से हुए नुक़सान से उबरने के लिए तेल की आपूर्ति और घटाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन तेल का निर्यात करने वाले देशों के संगठन (ओपेक) में इस पर सहमति नहीं हुई। वर्ष 2016 में जब ओपेक बना था तब से सऊदी अरब और रूस ने मिलकर तेल की आपूर्ति में कटौती को 21 लाख बैरल प्रति दिन के स्तर पर बरकरार रखा था। सऊदी अरब अब चाह रहा है कि इसे 2020 के अंत तक बरकरार रखा जाए और इसके साथ साथ 15 लाख बैरल प्रति दिन की अतिरिक्त कटौती भी की जाए। लेकिन रूस इस बात पर राज़ी नहीं हुआ।

इस बीच अमेरिका जो अब विश्व का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश बन चुका है और रूस उसे बाज़ार पर और पकड़ बनाने से रोकना चाहता है। इसीलिए रूस को ऐसा लगता है कि ओपेक देश अगर तेल आपूर्ति और गिराएंगे तो अमेरिका को बाज़ार पर अपना कब्ज़ा बढ़ाने का मौक़ा मिलेगा, इसलिए वह सऊदी अरब का प्रस्ताव स्वीकार नहीं कर रहा है। उलटे शुक्रवार 6 मार्च को रूस ने घोषणा कर दी कि एक अप्रैल से हर देश को जितना वह चाहे उतना तेल उत्पादन करने की पूरी छूट है। इसके बाद ही सऊदी अरब ने अपने तेल की क़ीमत गिरा दी। वैसे यह पहले से ही माना जा रहा था कि रियाज़ सरकार ऐसा कोई भी फ़ैसला नहीं लेगी जो ट्रम्प की इच्छा के अनुसार न हो और उससे अमेरिका को नुक़सान हो। दूसरी ओर रूस भी कभी यह नहीं चाहेगा कि तेल बाज़ार पर पूरी तरह अमेरिका का क़ब्ज़ा हो जाए। इस बीच सऊदी अरब चाहता था कि रूस अपने तेल उत्पादन में कमी कर दे ताकि कच्चे तेल के दाम स्थिर रहें, लेकिन दूसरे सबसे बड़े तेल उत्पादक ने ऐसा करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद रियाज़ ने पिछले दो दशकों के दौरान तेल की क़ीमतों में सबसे बड़ी कटौती करके, बाज़ार में भूकम्प पैदा कर दिया।

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वैसे तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेल की मांग में गिरावट के पीछे कोरोना वायरस का बहुत बड़ा हाथ है। चीन, जहां से संक्रमण शुरू हुआ, दुनिया का सबसे बड़ा तेल आयातक है। उसकी तेल की खपत लगभग एक करोड़ बैरल प्रति दिन है। लेकिन इस घातक संक्रमण की वजह से उसकी अर्थव्यवस्था रुक सी गई है, फैक्टरियों पर ताले लगे हुए हैं जिसकी वजह से तेल की खपत में भारी गिरावट आई है। इस का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी हुआ है और पूरी दुनिया में तेल की खपत में कमी आई है। तेल की खपत में आई कमी के साथ-साथ अगर तेल के अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में दाम को लेकर युद्ध शुरू हो जाए तो यह बाज़ार की स्थिरता के लिए अच्छी ख़बर नहीं है, लेकिन भारत के लिए यह स्थिति लाभदायक हो सकती है। भारत बड़े पैमाने पर तेल का आयात करता है और दाम गिर जाने पर उसका ख़र्च कम हो जाता है।

जहां एक ओर अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तेल की गिरती क़ीमतों को लेकर चिंता देखने को मिल रही है वहीं दूसरी ओर इससे भारतीय बाज़ार में पेट्रोल, डीज़ल इत्यादि के दाम गिरने की संभावना बन गई है। ईंधनों के दाम गिरने से हर उस वस्तु का दाम गिरता है जिसे उत्पादन और बिक्री के बीच एक लम्बा सफ़र तय करना पड़ता है। वैसे तेल के गिरते दाम से भारत पर क्या असर पड़ेगा इस बारे में जानकारों का कहना है कि इस स्थिति से दोनों तरह के प्रभाव पड़ सकते हैं। जहां भारत के लिए यह एक अच्छी ख़बर है वहीं यह उसके लिए बुरी ख़बर भी हो सकती है। अच्छी ख़बर यह हो सकती है कि अगर भारत सरकार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गिरे तेल के दामों को अपनी देश की जनता के लिए भी गिराता है तो यह एक अच्छी ख़बर भारत की आम जनता के लिए होगी। लेकिन माना यह जा रहा है कि मोदी सरकार की जो आरंभ से नीति है उसके मुताबिक़ वह इसका लाभ देश की जनता को न देकर सीधे तेल कंपनियों को ही पहुंचाएंगे और वह तेल की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गिरती क़ीमतों से लाभ उठाकर माला माल हो जाएंगी। वैसे कुछ जानकार तेल के गिरते दामों को एक वैश्विक आर्थिक मंदी के संकेत के रूप में देख रहे हैं। उनका कहना है कि आने वाले दिनों में हर देश की तेल कंपनियों पर इसका बुरा असर दिखेगा और वह असर वस्तुओं के दामों पर भी पड़ेग। इन सबके बीच अब यह देखना है कि सऊदी अरब इस युद्ध को किस स्तर तक ले जाने के लिए तैयार है और दुनिया अमेरिका की इस तरह की षड्यंत्रकारी और मानवाताविरोधी नीतियों का कबतक इस तरह शिकार होती रहेगी।

साभार पी. टी.

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