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दुनिया की नजर भारत के चुनाव पर, अमेरिकी सांसद ने इन सोशल मीडिया कंपनियों से तैयारियों पर पूछे सवाल

भारत में आम चुनावों को लेकर जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। आज दोपहर तीन बजे लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की जाएगी। इसके साथ ही देशभर में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो जाएगी। इन सबके बीच, अमेरिका के एक सांसद ने सोशल मीडिया कंपनियों से पूछा है कि भारत में होने वाले चुनाव के लिए क्या कुछ तैयारी की हैं। दरअसल, मेटा के स्वामित्व वाले व्हाट्सएप सहित सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अफवाहें और गलत जानकारी को बढ़ाने का एक लंबा इतिहास रहा है। इसी को देखते हुए सांसद ने सवाल खड़ा कर दिया है। 

अमेरिकी चुनावों पर निगरानी रखने वाली सीनेट की खुफिया एवं नियम समिति के सदस्य सांसद माइकल बेनेट ने सोशल मीडिया कंपनियों को एक पत्र लिखा है। यह पत्र अल्फाबेट, मेटा, टिकटॉक और एक्स को लिखा  गया है। इन कंपनियों से भारत सहित विभिन्न देशों में चुनाव की तैयारियों के बारे में जानकारी मांगी गई है।

जोखिम को बढ़ाने के लिए तैयार एआई
बेनेट ने लिखा, ‘चुनावों में नए सोशल मीडिया यूजर्स से ही खतरा नहीं है, बल्किआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल लोकतांत्रिक प्रक्रिया और राजनीतिक स्थिरता दोनों के लिए जोखिम को बढ़ाने के लिए तैयार हैं। एआई के चलन से पहले की बाधाएं कम हो गईं है, जबकि इससे खतरा और बढ़ भी गया है।’

उन्होंने आगे कहा कि इस साल 70 से अधिक देशों में चुनाव हो रहे हैं। दो अरब से अधिक लोग मतदान कर रहे हैं। 2024 लोकतंत्र का वर्ष है।

इन देशों में होने हैं चुनाव
ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, क्रोएशिया, यूरोपीय संघ, फिनलैंड, घाना, आइसलैंड, भारत, लिथुआनिया, नामीबिया, मैक्सिको, मोल्दोवा, मंगोलिया, पनामा, रोमानिया, सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका में इस साल प्रमुख चुनावी मुकाबले होने की उम्मीद है।

यह जानकारियां मांगी
एक्स के एलन मस्क, मेटा के मार्क जुकरबर्ग, टिकटोक के शॉ जी च्यू और अल्फाबेट के सुंदर पिचाई को बेनेट ने पत्र लिखा है। उन्होंने भाषाएं और पूर्णकालिक या अंशकालिक अनुबंधों पर मध्यस्थों की संख्या और एआई-जनित सामग्री की पहचान करने के लिए अपनाए गए उपकरण सहित प्लेटफार्मों की चुनाव-संबंधी नीतियों, सामग्री मॉडरेशन टीमों के बारे में जानकारी देने का अनुरोध किया है। 

लोकतंत्र को मजबूत करें
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का मतलब होता है कि लोग खुद शासन करते हैं। दुष्प्रचार और गलत सूचना लोकतांत्रिक देश में जहर घोल देती है। आपके मंचों को लोकतंत्र को मजबूत करना चाहिए, न कि इसे कमजोर करना चाहिए।

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