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प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी पर SC का योगी सरकार को सुप्रीम झटका, कहा- तुरंत रिहा करें !

रिपोर्ट – बाक़र / गोपाल सैनी

सीएम योगी पर टिप्पणी के मामले में पत्रकार प्रशांत कन्नौजिया को तत्काल रिहा करने का सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश, नेशन लाइव चैनल के मामले में एम डी इशिका सिंह, अनुज शुक्ला को सुप्रीम कोर्ट ने किया रिहा सरकार को लगाई फटकार।

दिल्ली – कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ट्वीट के लिए गिरफ्तार करने की क्या जरुरत थी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि नागरिक अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता।

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के बारे में आपत्तिजनक पोस्ट करने और सीएम की छवि को नुकसान पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किए गए पत्रकार प्रशांत कनौजिया को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत कनौजिया की पत्नी की तरफ से दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए पत्रकार को रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ‘ट्वीट के लिए गिरफ्तार करने की क्या जरुरत थी।’ सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ‘नागरिक अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि लोगों के विचार भिन्न हो सकते हैं। उन्हें (प्रशांत कनौजिया) भी ट्वीट नहीं करने चाहिए थे, लेकिन इसके आधार पर गिरफ्तारी नहीं हो सकती!’

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ‘लोगों की आजादी के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। यह देश के संविधान द्वारा प्रदत्त और इसके साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता।’ बता दें कि प्रशांत कनौजिया पर आरोप है उन्होंने एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया था। पुलिस के मुताबिक कनौजिया ने वीडियो शेयर करते हुए एक विवादित कैप्शन लिखा था। पुलिस के अनुसार, इस पोस्ट के जरिए सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई। जिसके आधार पर पुलिस ने प्रशांत कनौजिया को गिरफ्तार कर लिया था।

बता दें कि प्रशांत कनौजिया पर आरोप है उन्होंने एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया था, जो कि सीएम योगी आदित्यनाथ से संबंधित था। पुलिस के मुताबिक कनौजिया ने वीडियो शेयर करते हुए एक विवादित कैप्शन लिखा था। पुलिस के अनुसार, इस पोस्ट के जरिए सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई। जिसके आधार पर पुलिस ने प्रशांत कनौजिया को गिरफ्तार कर लिया था। प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी की एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी आलोचना की थी।

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