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महंगाई और गैर-बराबरी का असर, छोटी होती जा रही है जिंदगी ब्रिटेन के लोगों की

ब्रिटेन में जीवन प्रत्याशा गिरती जा रही है। किसी देश में किसी शिशु के जन्म के समय उसके जितने वर्ष जीवित रहने की अपेक्षा की जाती है, उसे जीवन प्रत्याशा कहा जाता है। जीवन प्रत्याशा बढ़ने को किसी समाज में प्रगति और समृद्धि का सूचक माना जाता है।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के सबसे धनी देशों के संगठन जी-7 में जीवन प्रत्याशा के लिहाज अमेरिका की स्थिति सबसे बुरी हो गई है। इस सूची में ब्रिटेन अमेरिका के बाद नीचे से दूसरे नंबर पर है। एक ताजा अध्ययन रिपोर्ट ने इस बारे में विस्तृत विवरण पेश किया है। ये अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड और लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिटकल मेडिसिन ने किया है।

इसके मुताबिक 2020 में जीवन पुरुषों की प्रत्याशा 78.2 और महिलाओं की 82.2 फीसदी रह गई। ये दोनों स्तर 2011 के बाद न्यूनतम हैं। इस अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक 70 साल पहले विश्व जीवन प्रत्याशा सूची में ब्रिटेन सातवें नंबर पर था। उसके ऊपर मोटे तौर पर स्कैंडिवियन देश ही थे। नॉर्वे, स्वीडन और डेनमार्क जैसे ब्रिटेन से अक्सर ऊपर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2021 तक ब्रिटन इस सूची में गिर कर 29वें स्थान पर पहुंच गया था। अध्ययन रिपोर्ट जर्नल ऑफ रॉयल सोसायटी ऑफ मेडिसीन में छपी है।

अध्ययन के दौरान अनुसंधानकर्ताओं ने 1952 से 2021 तक के आंकड़ों का परीक्षण किया। इससे सामने आया कि सात दशकों तक ब्रिटेन में जीवन प्रत्याशा बढ़ती रही। लेकिन अगर जी-7 देशों के बीच देखें, तो सिर्फ अमेरिका को छोड़ कर ब्रिटेन में बाकी तमाम देशों की तुलना में वृद्धि दर धीमी रही। इस आधार पर शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि ब्रिटेन में जीवन प्रत्याशा में वृद्धि दर क्रमिक रूप से धीमी पड़ती गई थी।

इस रुझान के कारणों की पड़ताल करते हुए विशेषज्ञ इस नतीजे पर पहुंचे कि 1980 के बाद ब्रिटेन में तेजी बढ़ी आर्थिक गैर-बराबरी जीवन प्रत्याशा घटने का एक बड़ा कारण है। तमाम अध्ययनों से यह बात साबित हो चुकी है कि पिछले चार दशकों में ब्रिटेन में गैर-बराबरी तेजी से बढ़ी है।

लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर मार्टिन मैकी ने कहा है- ‘गैर-बराबरी बढ़ने अलग-अलग सामाजिक वर्गों की जीवन प्रत्याशा में अंतर बढ़ने लगा। गरीब समूहों के जीवन स्तर में गिरावट आने लगी। उसका नतीजा हुआ कि ऐसे तमाम तबकों की जीवन प्रत्याशा प्रभावित हुई।’

यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफॉर्ड में प्रोफेसर डॉ. लुसिन्डा हायम ने कहा है- ‘सूचकांक से जाहिर हुआ है कि जी-7 देशों के बीच सिर्फ एक ही देश का प्रदर्शन ब्रिटेन से खराब है और वह है अमेरिका।’ डॉ. हायम ने कहा कि महंगाई की समस्या ने भी जीवन प्रत्याशा पर खराब असर डाला है।

उन्होंने कहा- ‘अल्पकाल में ब्रिटिश सरकार के सामने एक बड़ी समस्या का हल ढूंढने की चुनौती है। लेकिन आबादी की सेहत में गिरावट इस बात का सबूत है कि ब्रिटिश समाज में सब कुछ ठीक नहीं है। आज जो समस्या दिख रही है, वह एतिहासिक रूप से गंभीर राजनीतिक और राजनीतिक समस्याओं का परिणाम है। ताजा अध्ययन से संकेत मिला है कि ब्रिटेन में गहरें जड़ जमा चुकी समस्याओं से पीड़ित है और देश जिस रास्ते पर चल रहा है उस पर कई गंभीर सवाल हैं।’

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