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मानवाधिकार अभिव्यक्ति, आपकी अभिव्यक्ति । ……….. – भारतीय

बहुत आसान है मुगल बादशाहों को गालियां देना क्योंकि अब वे दोबारा नहीं आने वाले। बहुत आसान है यह कहना कि ताजमहल को गद्दारों ने बनाया था। बहुत आसान है यह कहना कि इतिहास बदल देंगे। मगर बहुत मुश्किल है वो करना जिससे कि लोगों का वर्तमान सुधर जाए। मुगलों ने जो इमारतें बनाई थीं, वे सदियों से सर्दी, गर्मी, बरसात, धूप, छांव सहन करने के बाद भी शान से खड़ी हैं।
जबकि आज की हुकूमतें (सभी दलों की) जो पुल और सड़कें बनाती हैं, वे उद्घाटन से पहले ही ध्वस्त हो जाती हैं। क्या आपने कभी पढ़ा है कि अकबर ने, शाहजहां ने या औरंगजेब ने फलां इमारत में घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किया और उसके पैसे हजम कर गया? ये इमारतें ही कह रही हैं कि वे आज के नेताओं से कहीं ज्यादा ईमानदार थे। अलबत्ता कमियां सभी में होती हैं, मुगलों में भी जरूर रही होंगी। वे कोई फरिश्ते तो नहीं थे।
आज तो नेताओं और बड़े अफसरों की मौत के बाद अखबारों में तीये की बैठक के बड़े विज्ञापन छपते हैं और बड़े-बड़े स्मारक बना दिए जाते हैं। एक बादशाह औरंगजेब था, जिसकी कच्ची कब्र भी खुले आसमान के नीचे है। चाहता तो वो उसे सोने से मढ़वा सकता था।
ताजमहल, लाल किला और मुगलिया सल्तनत की इमारतों को कोसना बहुत आसान है। अगर हिम्मत है तो इनसे बेहतर बनाकर दिखाओ। मगर हम जानते हैं, आप ऐसा नहीं कर पाएंगे। इसलिए जो मुगल छोड़ गए, उसे सहज कर रखना हमारा परम् कर्तव्य है न कि उसे मिटाना ! क्योंकि उसका निर्माण हम सब भाारतियों के खून पसीने से निर्मित किया गया हैै।

वैसे ही अंग्रेजों ने भी हमें अपना गुलाम बना कर भले ही रखा , लेकिन जो भी निर्माण किया उसमे किसी भी प्रकार की बू नही आती है।

ये हमारी धरोहरें है। इसे सहज कर रखना हमारा धर्म है। क्योंकि जिसे हम बना नही सकते तो उसे नष्ट करने का भी हक नही है।

क्योंकि धर्म और जाति से बढ़कर देश है। हमें ऐसा भेद भाव नहीं करना चाहिये जो देश के लिर्य आहतकर हों। वही सच्ची देश भक्ति है और वही सच्ची पूजा।

– मानवाधिकार अभिव्यक्ति

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