कानपुर में जो देखो सो पत्रकार, मैं तो भैइया कहू खरी-खरी कहता हूं किसी को बुरी लगे तो लगने दो, कानपुर में पत्रकारों की आ गई भरमार, सागर में आ गई ऊफान और कानपुर में आ गई पत्रकारों की भरमार, जो देखो वह पत्रकार हो गए, भैझ्या एक कार्ड बनवा लिए बन गए पत्रकार और रौब झाड़ने लगे कि हम पत्रकार हो गए, हम कहते तो खरी-खरी हैं लोगों को बुरी जरूर लग रही होगी, भैझ्या की एजुकेशन पूछो तो पता लगा के भैइया ने पढ़ाई की ही नहीं, बस बन गए पत्रकार, मैं खरी-खरी कहता हूं लोगों को बुरी जरुर लगती है और जो संस्था भी हैं वो कार्ड जारी कर देती है, ये नहीं मालूम करता है कि सामने वाला कहां तक पढ़ा लिखा है, मगर बना दिया पत्रकार, ये आजकल कानपुर में बहुत चल रहा है, लोगों को बुरी लगे या भली, मैं तो कहूं खरी-खरी, लगती है तो लगने दो, सच है तो सच सही-सही, जबसे भैया पत्रकार बन गए हैं मानों जग जीत लिए हो, उनसे अगर कह दो भैया अमावस्या लिख दो या इंग्लिश के दो शब्द लिख दो तो लिखने में कहते हैं, भैइया बताओ क्या लिख दे, लिखने की बारी आई तो भैइया लिख नहीं पा रहे हैं, मैं कहता हूं खरी-खरी लोगों को लगती है बुरी बुरी, भली मैं कहता हूं खरी-खरी, लोगों को लगती बुरी भली, क्योंकि सही पत्रकारों की छवि हो रही धूमिल लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का उड़ रहा मजाक सम्मानित पत्रकारों के सम्मान में पहुंचती है ठेस मैं तो कहूं खरी-खरी लोगों को लगे बुरी भली !
कानपुर दक्षिण प्रेस क्लब अध्यक्ष –
धीरेन्द्र कुमार गुप्ता