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मोदी और योगी शासन में यूं घोंटा जा रहा है अभिव्यक्ति की आज़ादी का गला, सरकार की आलोचना करने पर 7 शिक्षक निलबिंत !

फाईल चित्र रिपोर्ट – सज्जाद अली नयाने

उभारत में मोदी और योगी सरकारें अब सवाल करने पर भी अभिव्यक्ति की आज़ादी का गला घोंट रही हैं ?

यूपी – उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने 7 शिक्षकों को केवल इसलिए निलंबित कर दिया, क्योंकि उन्होंने सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के बालाकोट में हुए हालिया हवाई हमले पर कुछ सवाल किए थे।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, एक बेसिक शिक्षा अधिकारी को भी निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा, योगी सरकार ने एक निजी स्कूल के शिक्षक के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने के आदेश भी दिए हैं।
21 फ़रवरी को विशेष सचिव आनंद कुमार सिंह ने मुज़फ्फरनगर के बीएसए दिनेश यादव को निलंबित कर दिया था।

दिनेश पर आरोप है कि उन्होंने 19 फ़रवरी को प्रांतीय शिक्षा सेवा के व्हाट्सऐप ग्रूप में पुलवामा हमले पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इसके पीछे कोई राजनीतिक साज़िश हो सकती है। दिनेश का कहना है कि वे इस ग्रूप में अपने एक दोस्त से बातचीत कर रहे थे और उन्होंने किसी सर्विस रूल का उल्लंघन नहीं किया है।

वहीं 27 फ़रवरी को बाराबंकी बीएसए वीपी सिंह ने बाराबंकी के प्राइमरी स्कूल हेडमास्टर सुरेंद्र कुमार को निलंबित किया। उन पर शिक्षकों के व्हाट्सऐप ग्रुप में पुलवामा हमले को लेकर सवाल उठाने का आरोप लगाया गया।

उनके निलंबन आदेश में इसे सेवा नियमों का उल्लंघन बताया गया। सुरेंद्र का कहना है कि उनका निलंबन ग़लत है और यह अभिव्यक्ति की आज़ादी का खुला उल्लंघन है।

16 मार्च को रायबरेली बीएसए पीएन सिंह ने रायबरेली के प्राइमरी स्कूल हेडमास्टर निरंकार शुक्ला को निलंबित कर दिया। उनके ख़िलाफ़ आरोप है कि उन्होंने फ़ेसबुक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में लिखा था, जो आचार संहिता का उल्लंघन है।

16 मार्च को ही रायबरेली के प्राइमरी स्कूल सहायक शिक्षक राजेश शुक्ला को भी निलंबित किया गया। उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने आरबीआई के गवर्नर के पद से हटने और एलआईसी पर दबाव होने की बात का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री की आलोचना की थी।

राजेश शुक्ला का कहना है, ‘कई कर्मचारियों द्वारा सत्तासीन पार्टी के पक्ष में कई टिप्पणियां की गईं, उनके ख़िलाफ़ किसी तरह का कोई एक्शन नहीं लिया गया

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