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मोदी ने कृषि कानूनों पर आलोचना को बताया विपक्ष की बौद्धिक बेईमानी

10 महीने से काले कानून के रूप में लागू हुए विवादित कृषि कानूनों पर आंदोलन कर रहे किसानों को समर्थन देना प्रधानमंत्री मोदी को पसंद नहीं आ रहा है.

PM Modi

2014 से पहले यूपीए सरकार को हर बात पर घेरने वाले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने के बाद विपक्ष की आलोचनाएं बौद्धिक बेईमानी लग रही हैं. यह अलग बात है मनरेगा हो या आधार, मुख्यमंत्री मोदी के लिए यह सारी बेकार योजनाएं प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे अच्छी लगने लगीं। आधार जो पहले था बेकार, सत्ता में आते ही देश के हर व्यक्ति के ज़रूरी डॉक्यूमेंट बना दिया। इसके बिना किसी को कोई पहचान नहीं।

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पिछले 10 महीने से काले कानून के रूप में लागू हुए विवादित कृषि कानूनों पर आंदोलन कर रहे किसानों को समर्थन देना प्रधानमंत्री मोदी को पसंद नहीं आ रहा है. इस मुद्दे पर उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधा है और इसे ‘‘बौद्धिक बेईमानी’’ और ‘‘राजनीतिक छल’’ करार दिया हैं।

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पीएम मोदी ने कहा कि कुछ विपक्षी पार्टियां इन कृषि कानूनों को बेहतर तरीके को जान गई हैं कि ये किसानों के भले के लिए हैं, लेकिन सियासी लाभ के लिए वो इसे अनदेखा कर रही हैं, वे पूछते हैं कि आखिर इससे किसानों को क्या लाभ होगा?

पीएम मोदी ने किसी पत्रिका को दिए इंटरव्‍यू में कहा, ‘कई राजनीतिक दल हैं जो चुनाव से पहले बड़े-बड़े वादे करते हैं, उन्‍हें मैनिफेस्‍टो में भी डालते हैं। फिर, जब समयआता है वादा पूरा करने का तो यही दल यू-टर्न ले लेते हैं। अगर आप किसान हित में किए गए सुधारों का विरोध करने वालों को देखेंगे तो आपको बौद्धिक बेइमानी और राजनीतिक धोखाधड़ी का असली मतलब दिखेगा।’

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पीएम ने कहा, ‘ये वही लोग हैं जिन्‍होंने मुख्‍यमंत्रियों को पत्र लिखकर वही करने को कहा जो हमारी सरकार ने किया है। अपने मैनिफेस्‍टो में लिखा कि वे वही सुधार लागू करेंगे जो हम लेकर आए हैं। चूंकि हम एक अलग राजनीतिक‍ दल हैं, जिसे लोगों ने अपना प्‍यार दिया है और जो वही सुधार लागू कर रहा है, तो उन्‍होंने पूरी तरह यू-टर्न ले लिया है और बौद्धिक बेइमानी का प्रदर्शन कर रहे हैं। इसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर लिया गया है कि किसान हित में क्‍या है, सिर्फ यह सोचा जा रहा है कि राजनीतिक रूप से उन्‍हें फायदा कैसे होगा।

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