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यूरोपीय संघ ने भी पाकिस्तान को कश्मीर के मुद्दे पर दिया झटका , कहा- भारत में आतंकी चांद से नहीं उतर रहे।

रिपोर्ट- विपिन निगम

भारत के खिलाफ कश्मीर का राग अलापने वाले पाकिस्तान को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है। संयुक्त राष्ट्र के बाद यूरोपीय संघ ने भी पाकिस्तान को कश्मीर के मुद्दे पर झटका दिया है। इतना ही नहीं, यूरोपीय संघ ने साफ शब्दों में पाकिस्तान से कहा है कि वो भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।

यूरोपीय सांसदों रेसजार्ड जारनेकी और फूलवियो मार्तुसिएलो तथा भारतीय मूल के सदस्य नीना गिल ने पाकिस्तान को आतंकवादियों को शरण देने के लिए फटकार लगाई और साथ ही पाकिस्तान द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन पर ईयू के साथी सांसदों द्वारा आंखें मूंदे रखने की भी आलोचना की। 

कश्मीर मुद्दे पर यूरोपीय संसद में मंगलवार को बहस हुई, जिसमें ईयू संसद और पोलैंड के यूरोपीय कंजरवेटिव और रिफार्मिस्ट समूह के सदस्य जारनेकी ने भारत को ‘दुनिया का सबसे महान लोकतंत्र’ करार दिया। उन्होंने कहा, “हमें उन आतंकवादी गतिविधियों को देखने की जरूरत है, जो भारत और जम्मू और कश्मीर में होते हैं। ये आतंकवादी चांद से नहीं आते हैं, वे पड़ोसी देश से आते हैं। हमें भारत का समर्थन करना चाहिए।”

इटली के यूरोपीयन पीपल्स पार्टी (क्रिस्चन डेमोक्रेट्स) फूलवियो मार्तुसिएलो ने परमाणु युद्ध की धमकी देने को लेकर पाकिस्तान को लताड़ा। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर मुद्दे पर परमाणु युद्ध छिड़ने की धमकी दी थी। उन्होंने कहा कि आतंकवादी पाकिस्तान का प्रयोग यूरोप में जघन्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने के लिए कर रहे हैं।

इटली के यूरोपीयन पीपल्स पार्टी (क्रिस्चन डेमोक्रेट्स) फूलवियो मातुर्सिएलो ने परमाणु युद्ध की धमकी देने को लेकर पाकिस्तान को लताड़ा। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर मुद्दे पर परमाणु युद्ध छिड़ने की धमकी दी थी। उन्होंने कहा कि आतंकवादी पाकिस्तान का प्रयोग यूरोप में जघन्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने के लिए कर रहे हैं। भारतीय मूल की एमईपी (यूरोपीय संसद की सदस्य) गिल ने पाकिस्तान के खिलाफ दृढ़ता से बात की और पाकिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर आंखें मूंदने के लिए साथी एमईपी पर आश्चर्य व्यक्त किया। 

उन्होंने कहा, “उन सदस्यों के प्रति जिन्होंने भारत के प्रति अपने आक्रोश की बात की है। मैं कश्मीरियों के साथ आपके पक्षपात और सहानुभूति की कमी से चकित हूं। जब पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान में यही उपाय किया, तो हमने बात नहीं की, जब उन्होंने चीन को वह क्षेत्र दे दिया, जो उनका नहीं था, तो हमने बात नहीं की। या जब सिख या अन्य अल्पसंख्यक महिलाओं का अपहरण किया जाता है और धर्मपरिवर्तन के लिए मजबूर किया जाता है तो हम बात नहीं करते।”

उन्होंने कहा, “तथ्य यह है कि पीओके (पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर) में मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और बहुत से सम्मानित सहयोगी इसे दूसरे तरीके से देखते हैं।” उन्होंने कहा कि कश्मीर का समाधान इस सदन से नहीं निकल सकता। यह समाधान तभी निकल सकता है, जबकि पाकिस्तान की तरफ से सरकार समर्थित आतंकवाद और वैश्विक गलतबयानी समाप्त हो, और उसके बाद बातचीत की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान “बातचीत कर सकता है, लेकिन बात जब मानवाधिकारों की आती है तो भाग नहीं सकता।” उन्होंने कहा, “मैं उन सहयोगियों से कहती हूं जो अनुच्छेद 370 के बारे में नाराज हैं, आप एक हिस्से पर ध्यान केंद्रित करते हैं और अन्य मुद्दों की अनदेखी करते हैं जो हम में से कई लोगों के दिलों को प्रिय हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “इसे (अनुच्छेद 37०) हटाने से ना सिर्फ एलजीबीटी अधिकारों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा होगी, बल्कि पयार्वरण संरक्षण में सुधार होगा और अपमानजनक तीन तलाक का अंत होगा।” उन्होंने कहा, “और क्यों, दूसरों की तुलना में कश्मीरियों को कम अधिकार होना चाहिए, जबकि बाकी के पास है।”

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