नई दिल्ली, 23 अक्तूबर 2025 — नई दिल्ली स्थित साउथ ब्लॉक में गुरुवार को हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में तीनों सेनाओं की कई प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। इन परियोजनाओं में भारतीय थलसेना के लिए नाग मिसाइल सिस्टम एमके-II, ग्राउंड बेस्ड मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम और हाई मोबिलिटी व्हीकल्स की खरीद शामिल है। वहीं, नौसेना और वायुसेना के लिए भी कई उन्नत हथियार प्रणालियों को स्वीकृति मिली है। इन मंजूरियों से भारत की रक्षा तैयारियों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
थलसेना को मिलेगी नई ताकत
थलसेना के लिए स्वीकृत नाग मिसाइल सिस्टम एमके-II दुश्मन के टैंकों, बंकरों और किलेबंद ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम है। यह मिसाइल सिस्टम ट्रैक्ड वर्जन में होगा, जिसे कठिन इलाकों में भी आसानी से तैनात किया जा सकेगा।
इसके अलावा, ग्राउंड बेस्ड मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम सेना को दुश्मन की रेडियो तरंगों और इलेक्ट्रॉनिक उत्सर्जनों की 24 घंटे निगरानी की क्षमता देगा। इससे खुफिया जानकारी जुटाने की गति और सटीकता में वृद्धि होगी।
हाई मोबिलिटी व्हीकल्स के ज़रिए रसद आपूर्ति प्रणाली को और मजबूत बनाया जाएगा, जिससे कठिन भौगोलिक इलाकों में सैनिकों तक आवश्यक सामग्री आसानी से पहुंच सकेगी।
नौसेना की बढ़ेगी समुद्री शक्ति
भारतीय नौसेना के लिए डीएसी ने लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक्स, 30 मिमी नेवल सरफेस गन, एडवांस्ड लाइट वेट टॉरपीडो, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इंफ्रारेड सर्च एंड ट्रैक सिस्टम और स्मार्ट गोला-बारूद की खरीद को मंजूरी दी है।
इन उन्नत प्रणालियों से नौसेना की उभयचर युद्ध क्षमता और समुद्री निगरानी शक्ति में जबरदस्त सुधार होगा। लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक्स से नौसेना को थलसेना और वायुसेना के साथ संयुक्त अभियानों में मदद मिलेगी।
डीआरडीओ द्वारा विकसित एडवांस्ड लाइट वेट टॉरपीडो पारंपरिक, परमाणु और छोटी पनडुब्बियों को सटीकता से निशाना बना सकता है। वहीं 30 मिमी नेवल सरफेस गन से नौसेना और कोस्ट गार्ड को समुद्री डकैती और कम तीव्रता वाले अभियानों में सहायता मिलेगी।
वायुसेना को मिलेगा अत्याधुनिक सिस्टम
भारतीय वायुसेना के लिए कॉलैबोरेटिव लॉन्ग रेंज टारगेट सैचुरेशन/डिस्ट्रक्शन सिस्टम समेत कई अत्याधुनिक प्रणालियों को स्वीकृति दी गई है।
यह सिस्टम स्वचालित टेकऑफ, लैंडिंग, नेविगेशन और लक्ष्य क्षेत्र में सटीक हमला करने की क्षमता रखता है। इससे वायुसेना की रणनीतिक और हमलावर क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन परियोजनाओं से भारत की रक्षा क्षमताएं न केवल आधुनिक होंगी बल्कि स्वदेशी निर्माण को भी प्रोत्साहन मिलेगा। अधिकांश प्रणालियां देश में ही विकसित की जाएंगी, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के उद्देश्यों को बल मिलेगा।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इन स्वीकृत योजनाओं से भारत की तीनों सेनाएं नई ऊंचाइयों पर पहुंचेंगी और आपात स्थितियों से निपटने में पूरी तरह सक्षम होंगी।
नौसेना को मिली पहली स्वदेशी एंटी-सबमरीन युद्धपोत ‘माहे’
कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने भारतीय नौसेना को स्वदेशी रूप से निर्मित पहली एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट ‘माहे’ सौंप दी है। यह आठ युद्धपोतों की श्रृंखला का पहला जहाज है, जिसे कोच्चि में औपचारिक रूप से नौसेना को डिलीवर किया गया।
इस अवसर पर सीएसएल के निदेशक डॉ. एस. हरिकृष्णन और ‘माहे’ के कमांडिंग ऑफिसर कमांडर अमित चंद्र चौबे के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इस दौरान वेस्टर्न नेवल कमांड के चीफ स्टाफ ऑफिसर रियर एडमिरल आर. अधिस्रीनिवासन, कमोडोर अनुप मेनन और नौसेना एवं सीएसएल के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

