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राष्ट्रपति मुइजू भारत के साथ बिगड़ते रिश्तों के बीच चीन का दौरा करेंगे, बड़े एलानों की संभावना

चीन और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइजू के बीच बीजिंग में द्विपक्षीय वार्ता के लिए बातचीत चल रही है जो कुछ ही हफ्तों में हो सकती है। अगर यह वार्ता होती है तो मोहम्मद मुइजू चीन आने वाले मालदीव के पहले राष्ट्रपति होंगे। 

मालदीव के पूर्व राष्ट्रपतियों ने भारत को अपने पहले दौरे के तौर पर चुना था, लेकिन मुइजू ने सीओपी28 शिखर सम्मेलन में दुबई पहुंचने से पहले तुर्किये का दौरा किया था। यहां तक की कट्टर भारत विरोधी नेता मोहम्मद वाहीद ने 2012 में और इसके दो साल बाद अब्दुल्ला यामीन ने भी अपना पहला दौरा भारत का ही किया था। हालांकि, चीन तीसरा ऐसा देश होगा जहां मालदीव के नए राष्ट्रपति यात्रा करेंगे।

मुइजू के तुर्किये दौरे ने चीन और भारत को यह दिखा दिया कि मालदीव अब अपने विकास के लिए दोनों में से किसी भी देश पर निर्भर नहीं है। भारत समर्थक पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के पद से हटने के बाद चीन ने नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइजू को आमंत्रित करने में समय बर्बाद नहीं किया। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मुइजू को भारत से भी आमंत्रण मिला है या नहीं। 

भारत के साथ किए गए समझौते को खत्म करेंगे मुइजू
मुइजू की यह यात्रा एचएडीआर गतिविधियों के लिए मालदीव को भारत द्वारा उपहार में दिए गए नौसैनिक हेलिकॉप्टरों के संचालन में शामिल भारतीय सैन्यकर्मियों को वापस भेजने के मुइजू के आग्रह के बीच होगी। हालांकि, भारत इसके लिए एक व्यावहारिक समाधान की उम्मीद कर रहा है। सीओपी28 सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के बाद मुइजू ने कहा कि भारत अपने सैन्यकर्मियों को वापस बुलाने के लिए तैयार है। इनके बीच ही मुइजू ने यह भी बताया कि मालदीव भारत के साथ किए गए उस समझौते को खत्म करना चाहता है, जिसमें भारतीय नौसेना को मालदीव के जलक्षेत्र में हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी। यह समझौता साल 2019 में पीएम मोदी के माले दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच की गई थी। 

चीन का दौरा करने वाले आखिरी राष्ट्रपति यामीन थे, जिन्होंने 2017 में चीन की यात्रा की थी। दोनों देशों के बीच गुप्त व्यापार समझौता हुआ था। इसी के साथ चीन को पश्चिमी एटोल में एक ऑवजरवेटरी बनाने के समझौते पर भी हस्ताक्षर किया गया था, जिसने भारत के लिए चिंताए बढ़ा दी थी। दरअसल, इस समझौते के तहत चीन के पास हिंद महासागर के एक बड़े से क्षेत्र में शिपिंग मार्ग का अधिकारी प्राप्त होगा, जहां से कई व्यापारी जहाज गुजरते हैं।

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