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Sunday, September 8, 2024

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राष्ट्रपति विक्रमसिंघे बोले- श्रीलंका विदेशी संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करेगा; यह बात कही भारत को लेकर

इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका के राष्ट्रपति ने विदेशी संबंधों को लेकरब बड़ा बयान दिया है। उन्होंने बुधवार को संसद के नए सत्र के उद्धाटन के मौके पर अपने संबोधन में कहा कि देश को आर्थिक संकट से उबारने और विकास के लिए विदेशी संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत आ गई है। विक्रमसिंघे ने कहा कि मौजूदा जरूरतों और भूराजनीतिक रुझानों को देखते हुए हमारे लिए विदेशी संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करना जरूरी और महत्वपूर्ण हो गया है। संसद में अपने नीतिगत भाषण के दौरान उन्होंने भारत का भी जिक्र किया। 

विक्रमसिंघे ने कहा कि हम इस दिशा में काम करना भी शुरू कर चुके हैं। इसी क्रम में भारत के सहयोग से त्रिंकोमाली को एक आर्थिक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए एक योजना पहले ही शुरू हो चुकी है। उन्होंने देश के लिए ज्यादा से ज्यादा आर्थिक लाभ की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि विदेशी संबंधों के पुनर्गठन में आर्थिक संभावनाओं का लाभ उठाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ऐसे में देश की आर्थिक ताकत को बढ़ाने वाली नई विदेश नीतियों को अपनाना होगा। इसके अलावा, सभी देशों के साथ गुटनिरपेक्ष नीतियों और मित्रता को बढ़ावा देना भी जरूरी है। उन्होंने देश की नई विकास नीति का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी विदेश नीति वर्तमान युग के साथ जुड़ने के लिए विकसित हो रही है। हम आर्थिक संबंधों को ऐसा नेटवर्क बना रहे हैं, जिसके जरिए हमारे देश के उत्पाद विदेशी बाजार में प्रवेश पा सकें। 

श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में हो रहा सुधार- विक्रमसिंघे
संसद में अपने भाषण के दौरान राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा कि 2022 में 7.8 फीसदी जीडीपी संकुचन और लगातार छह तिमाहियों से नकारात्मक वृद्धि के बावजूद देश ने 2023 की तीसरी तिमाही में देश ने वापसी की है। इसके साथ ही विक्रमसिंघे ने आगे देश के आर्थिक परिदृश्य में एक जरूरी बदलाव की घोषणा भी की है। उन्होंने अपने संबोधन की शुरूआत करते हुए यह घोषणा की है कि सरकार को उम्मीद है कि आर्थिक सुधारों को लागू करना जारी रखकर देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करते हुए लोगों पर कर का बोझ कम किया जाएगा। राष्ट्रपति ने पांचवें सत्र के उद्घाटन को एक औपचारिक समारोह के रूप में आयोजित करने का निर्देश दिया था।

भारत को लेकर कही यह बात
राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पूर्वोत्तर मन्नार और दक्षिण भारत के बीच पुल बनाने के विचार पर चर्चा की है। विक्रमसिंघे ने कहा, दिवालिया हो चुकी श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था को दोबारा मजबूत बनाने के लिए वह ऐसे फैसले लेने को भी तैयार हैं, जो जनता की नजर में अलोकप्रिय हो सकते हैं। उन्होंने उत्तरी क्षेत्र जाफना की अर्थव्यवस्था को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से जोड़ने के तरीकों पर काम करने का वादा भी किया था।

गौरतलब है कि इससे पहले, मंगलवार को श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने भारत के साथ एफटीए समझौता करने की योजना के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि वे साल 2024 के आखिरी तक इस पर समझौता करने की योजना बना रहे हैं। इसके साथ ही साबरी ने यह भी कहा था कि इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम और चीन के साथ भी मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए काम कर रहे हैं। बता दें कि श्रीलंका ने हाल ही में थाईलैंड के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।  

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