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संपादक की कलम से – भारत मां के वीर लाल , आतंक पर टूटे बन कर काल, जिसे देख पाक तिलमिला कर हो गया लाल !!! —- रवि जी. निगम

हिन्द पे अब जो आँख उठे, उसको न बख्सा जायेगा …..

आतंक का सरपरस्त पाकिस्तान जो विश्व का नं०1 आतंकी देश में सुमार रखने वाला एक ऐसा झूठा और मक्कार देश है जिसकी कथनी और करनी में बहुत ही तिफाक होता है। आजादी के 71 सालों के बाद भी हम उसकी नपाक हरकतों के शिकार होते आये हैं । जबकि पाक भारत के हाथों चार युद्व में मूँह की खा चुका है –

माँ भारती के लालों की ओर से आतंकी पाकिस्तान को चेतावनी –

हिन्द पे अब जो आँख उठे, उसको न बख्सा जायेगा । काश्मीर की भूमि पर , बस अब तिरंगा लहरायेगा ॥ दुश्मन अपने मनसूबों को , अब पूर्ण नही कर पायेगा ॥ जो कदम हिन्द की तरफ उठे, उन्हे काट फेक दिया जायेगा ॥ न कोई मुखालफत ही सहेंगे , न कोई बीच में अब आयेगा ॥ जो आ भी गया गर भूले से , वो भी अब मुँह की खायेगा ॥ अब जान गयी दुनियाँ सारी , दुश्मनों की दो मुँही बातों को ॥ अस्त्र शस्त्र और रसद उन्हे , अब कोई नहीं पहुंचायेगा ॥ अपने वीरों की बलिदानी को , न व्यर्थ गवांया जायेगा ॥ न ताज तख्त के खातिर अब, कोई दुश्मन से हाथ मिलायेगा॥ अपने देश की आजादी में जो, अब विघ्न बाधा पहुंचायेगा ॥ वो देशद्रोही से भी बढ़कर , दुश्मन देश का कहलायेगा ॥

– रवि जी. निगम

कब और क्यों हुये युद्ध –

जबकि भारत – पाक पहला युद्ध १९४७ में जब भारत का विभाजन हुआ था, मुस्लिम बहुल्य कश्मीर के हिन्दू शासक महाराजा हरि सिंह ने आजद कश्मीर राज्य का सपना संजोया था। उसी दरम्यांन १९४७ के सितंबर के महिने में जब कश्मीर के पश्चिमी हिस्से में मुसलमानों की हत्या कर दी गई, जिसके कारण राज्य में विभाजन के दंगे भड़क उठे। उसकी वजह से राज्य की जनता ने हरि सिंह के खिलाफ विद्रोह कर दिया और खुद के आजाद कश्मीर सरकार की घोषणा कर डाली।

ये युद्ध गतिरोध के साथ ही समाप्त हुआ क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री नेहरू ने पाकिस्तान को जम्मू और कश्मीर से अपनी अनियमित सेना को वापस बुलाने के लिये कोशिश करना प्रारम्भ कर दिया और उसे नव निर्मित संयुक्त राष्ट्र संगठन के माध्यम से राजनयिक संसाधनों का उपयोग कर आदर्शवादी राह को अपनाया। क्योंकि यूएनएससी के प्रस्ताव 39 और 47 भारत के पक्ष में भी नहीं थे और साथ ही पाकिस्तान इन प्रस्तावों को मानने के लिये भी तैयार नहीं था, जिसके कारण पाकिस्तान के नियंत्रण में भारत के जम्मू और कश्मीर का एक हिस्सा है पाकिस्तान में चला गया जिसे अब “पाक अधिकृत कश्मीर अथवा पीओके के नाम से जाना जाता है ।

भारत – पाक दूसरा युद्ध १९६५ – पाकिस्तान ने कच्छ सीमा के पास हमला कर दिया जिससे विवाद शुरु हो गया। जिसे भारत ने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाया। जिसे भारत की कमजोरी समझते हुए पाकिस्तान ने कश्मीर में बलवा कराने की कोशिश शुरू कर दी। 5 अगस्त 1965 को पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (LOC) पर अपनी सेना को तैनात कर दिया। और पाक ने ‘जिब्राल्टर अभियान’ प्लान किया जिसे जम्मू और कश्मीर में भारत के शासन के खिलाफ अनियमित “जिहादी” बलों की घुसपैठ के लिए बनाया गया था, जिसकी वजह से युद्ध शुरु हुआ। लेकिन संयुक्त राष्ट्र के द्वारा निर्दिष्ट संघर्ष विराम के बाद युद्ध समाप्त हो सका और जिसके पश्चात ताशकंद समझौता जारी किया गया।

भारत – पाक तीसरा युद्ध १९७१ – विभाजन के बाद बंगाल का पूर्वी हिस्सा पाकिस्तान के पूर्वी पाकिस्तान के तौर पर पाकिस्तान से जुड़ गया और पाकिस्तान के दोनों हिस्सों के बीच भारत की 1200 मील की सीमा भी पड़ती थी । जिस पर पाकिस्तान की सैन्य सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और उन पर जबरन उर्दू भाषा को थोप दिया।

इसी संघर्ष की वजह से पूर्व बंगाल के शेख मुजीबुर रहमान को प्रमुख न बनाना एक बड़ा रहा था। जबकि रहमान की पार्टी ने 1970 में हुए चुनावों में 300 सीटों में से 160 सीटें जीती थीं। वहीं जुल्फीकार अली भुट्टो और राष्ट्रपति याहया खान ने पूर्व बंगाल को अधिकार देने से इनकार कर दिया था।

लेकिन जब पाकिस्तान ने कश्मीर में भारतीय हवाईअड्डों पर हमला कर दिया, तब भारत ने पाकिस्तान के पूर्व और पश्चिम दोनों ही हिस्सों पर हमला बोल दिया और भारत ने पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से पर कब्जा कर लिया और जिसे 6 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश नाम का एक नया स्वतंत्र देश घोषित कर दिया गया। जिसके पश्चात दोनों ही देश संघर्ष विराम के लिए सहमत हुए और 1972 में जेड.ए.भुट्टो पाकिस्तान के नेता के तौर पर उभरे और मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति बने। साथ ही भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति भुट्टो के बीच बातचीत हुई और परिणामस्वरूप जून 1972 में दोनों देशों के बीच शांति और व्यवस्था बहाली के  शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किया गया।

चौथा कारगिल युद्ध १९९९ – जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले और नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान के सैनिकों और कश्मीरी आतंकवादियों की घुसपैठ इस युद्ध की सबसे बड़ी वजह रही ।

— स्रोत सौ. से जा. जो .

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