एक मैसेज सोशल मीडिया पर जोरों पर है , यही नहीं चुनावी जुमले का जमकर प्रचार हो रहा है , और ये लोगों में एक चर्चा का विषय बनता जा रहा है , साथ ही ये नेताओं के चुनावी भाषण और वादों का खुलकर हवा निकालते हुये देखा जा सकता है कि नेता किस कदर सत्ता की लोलुप्ता के चलते , गरीब जनता के भावनाओं के साथ मजाक किया करते हैं। इतना ही नहीं वो उनकी मुफ़लिसी को तार-तार भी करने से नहीं हिचकिचाते हैं। लेकिन बेचारी जनता कर भी क्या सकती है ।
संविधान ने एक ही ताकत दी थी , अब जुमलेबाजों ने उसका भी जुगाड़ ढूँढ लिया है । वो ताकत मात्र वोट के रूप में प्राप्त हुई थी , ईवीएम देवता के माध्यम से वो भी छिनता सा दिखाई देता है ।
अभी तक आपने तो ये सुना था कि ईवीएम में गड़वड़ी की गयी या की जा रही है , जिसका कोई सटीक जवाब चुनाव आयोग के पास नही था, लेकिन अब एक नई खोज कर ली गयी है , जिसके आगे बड़े से बड़े बुद्धजीवियों को अपना सिर पीटने के सिवाय दूसरा कोई रास्ता भी नहीं है।
क्योंकि ये इतना सटीक साइन्टिफिक उदाहरण है जिसे विगत एक दिन पूर्व ही लांच किया गया है, हमारे एक चुनाव आयोग के माध्यम से । जब कुछ लोगों ने चुनाव आयोग से ईवीएम खराब होने की शिकायत की , तो चुनाव आयोग महोदय ने बड़ी ही सहजता के साथ जवाब दिया , कि ईवीएम में कोई गाड़वड़ी नहीं है , उसमें लगी वीवीपैट मशीन अधिक तापमान (गर्मी) के कारण खराब हो गये हैं उन्हे बदला जा रहा है।
आप और हम कोई न कोई इलेक्ट्रॉनिक एप्लाइन्सेस ईयूज अवश्य करते हैं , लेकिन आज तक फिलहाल सायद ही किसी ने सुना होगा कि गर्मी की वजह से वो खराब हो गया हो , फिलहाल यदि ये मान भी लिया जाये तो क्या ये सवाल जायज़ नही होगा कि इसका उपयोग ही क्यों किया गया ? जब तापमान अपने उच्चतम स्तर पर था , या ऐसी आशंका के चलते पहले से ही कारगर इन्तजाम क्यों नहीं किये गये ? क्यों नहीं ऐसी विसम परिस्थिति में उसका समाधान पहले से ही निकाल लिया गया होता , Ac (एयर कन्डीसनर) बिठा करके ।
ताकि नागरिकों को भीषण तपन के बाद घण्टों लाइन लग कर तपना नही पड़ता और वो अपने मताधिकार का सद् उपयोग करने के बावजूद ठगा महशूस नहीं करते । और ऐसे जुमलेबाजों का वापस फिर से शिकार नही होते।
घन्य है हमारा सरकारी तंत्र !
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