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‘साहिब’ नहीं कहा जाएगा अब सरकारी अधिकारियों को, सुप्रीम कोर्ट ने शब्द के इस्तेमाल पर लगाया प्रतिबंध

पाकिस्तान में अब सरकारी अधिकारियों को ‘साहिब’ कहकर नहीं पुकारा जाएगा। दरअसल, यहां के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने सरकारी अधिकारियों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ‘साहिब’ शब्द को प्रतिबंधित कर दिया है। 

दो पन्नों के अपने आदेश में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ‘साहिब’ शब्द अनावश्यक रूप से अधिकारियों के ओहदे को बढ़ाता है और इससे उनमें जनता के प्रति जवाबदेह न होनी की भावना उत्पन्न होती है। 

ईसा ने कहा कि किसी की पद में ‘साहिब’ शब्द जोड़ना सही नहीं है। इससे अधिकारियों में शान का भ्रम होता है और गैर-जवाबदेही दिखाई देनी लिखती है। यह सब कुछ अस्वीकार्य नहीं है क्यों कि यह उनके हित के खिलाफ है जिनकी सेवा के लिए वो होते हैं। 

एडवोकेट जनरल ने कहा था ‘डीएसपी साहिब’ 
मुख्य न्यायाधीश का आदेश उस वक्त आया जब वह पेशावर में पिछले साल एक बच्चे की हत्या के मामले में दायर याचिका की सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने फैसले में यह भी जिक्र किया कि खैबर-पख्तूनखा सूबे के एडवोकेट जनरल ने  एक स्थानीय पुलिस उपनिरीक्षक को ‘डीएसपी साहिब’ कहकर पुकारा था। 

अदालत ने लगाई कड़ी फटकार
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एडवोकेट जनरल को फटकार भी लगाई। उन्होंने कहा, ‘आपने उन्हें साहिब कहकर सब कुछ खराब कर दिया। वह एक डीएसपी हैं या एक अयोग्य डीएसपी न कि कोई साहिब।’

इस मामले में आया फैसला 
न्यायाधीश ईसा ने यह भी उल्लेख किया कि मामले में चालान महज दो बयानों पर आधारित थी और इसमें एक सही जांच की कमी थी। 

बता दें कि मामले में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी और कहा गया कि पुलिस ने बच्चे की मौत के जिम्मेदार को खोजने के लिए कोई भी जांच नहीं की। यह खराब जांच का सबसे उपयुक्त उदाहरण है।

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