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हुज़ूर के स्वास्थ मंत्री हाज़िर हो ! जनता ढूँढ रही, फरवरी में क्यों नहीं हुआ कोरोना खत्म, टूटे सारे रिकॉर्ड, नए मामले हुए एक लाख के पार, क्या नैतिक जिम्मेदारी स्वीकारेंगे सरकार ?

संपादक की कलम से

रवि जी. निगम ( संपादक/समाज सेवक )

ज्ञात हो कि पिछले वर्ष जब कोरोना ने देश में दस्तक दिया तो हुज़ूर ने जनता कर्फ़्यू लगाया और उसके पश्चात लॉकडाऊन लगाया, ताली, थाली, शंख, मजींरे बजवाये, घर पर रहने के वादे यह कह कर किये कि सभी को सेलरी मिलेगी, लेकिन क्या लोगों सेलरी मिली ? उलटा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपने हाथ पीछे कर लिये तो आखिर क्यों ?

आज देश अभी तक कोरोना से उबर नहीं पाया लेकिन शिक्षा माफिया धडल्ले से अभिभावकों से उगाही कर रहे हैं, यदि ऐसा नहीं है तो क्योंकर सरकार ने अध्यादेश जारी कर इस लूट पर विराम लगाने की चेष्टा की ? क्या सरकार ने देश में बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराया ? यदि नहीं तो कोरोना में बेरोजगार हुए अभिभावकों को क्या आर्थिक मदद पहुँचायी है ? अब देश विषम परिस्थितियों से गुजर रहा है, ये अज़ब ही विडम्बना है जब देश की जनता को नहीं माफियाओं को कानूनी ताकत मिल रही है!

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कोरोना पर अब देश की बैंकिग सेक्टर रिसर्च करके रिपोर्ट दे रही है, कोरोना से लडने के लिये देश तैयार है! हो सकता है ? जल्द ही सुनायी पडे कि चिकित्सा संस्थान बैंकिंग सेक्टर पर रिपोर्ट करे कि अब बैंकिंग सेक्टर की हालत पर सुधार हो रहा है!और ऐसे ही कुछ हमारी सरकार के हाल हैं कि उनके मंत्री कोरोना को पिछले ही वर्ष घोषित कर चुके हैं कि कोरोना फरवरी 2021 में पूरी तरह से खत्म हो जायेगा, लेकिन हुज़ूर कोरोना खत्म तो नहीं हुआ ? क्या नैतिकता का पाठ पढाने वाले उन सबको नैतिक जिम्मेदारी का ज्ञान बाटेंगे ?

जिन्होंने कोरोना पर ताली-थाली, शख-मंजीरे, घंटा बजवाये, अगरबत्ती-दियाबत्ती. टॉर्च-मोबाइल जलवाये थे, कि इससे कोरोना भाग जायेगा, लेकिन वो तो इनका भी गुरू निकला! वो शुकर मनाइये कि प्रावासी मजदूर को गृह जनपद तक पहुँचाने से लेकर किसानों को मनरेगा से राहत देने के दिये गये सुझाव को इन्होने मान लिया, जिसका ही प्रतिफल था कि कोरोना काल में भी कृषि ही एक मात्र थी!

जिसने देश की आर्थिक व्यवस्था को सहारा दिया, नहीं तो हुज़ूर तो यही ज्ञान बाँट रहे थे कि जो जहाँ है वो वहीं बना रहे हमारे पास एक साल का भण्डार है, कहीं भूल से भी ये गलती कर देते तो इन्हे जनता ही नैतिक जिम्मेदारी का पाठ पढा देती! हुज़ूर एक जिम्मेदार नागरिक व देश भक्त होने का ही नतीजा है कि आपने एक प्रशस्ति-पत्र तक देना गवांरा नहीं समझा, वो छोडिये मन की बात में ही नाम ले लिया होता थोडा श्रेय हमें भी दे दिया होता !

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अभी भी हुज़ूर सिर्फ खेला होबे में मस्त हैं यदि ऐसा ही रहा तो डॉ. अर्थशास्त्री (SBI Riport) का ज्ञान धरा का धरा रह जायेगा, और फिर जो होगा वो भी अप्रत्यासित ही होगा ! जिसकी किसी ने सायद ही कल्पना की हो, क्योंकि कोरोना जुमले से नहीं नियंत्रण होने वाला है, उसे यथार्त से ही निपटा जा सकता है, हुज़ूर इससे मोह त्यागना ही होगा इसके लिये उपर्युक्त प्रबंधन गठित करना ही होगा ये राजनीति इच्छा शक्ती से हल नहीं किया जा सकता है!

इसको विशेष प्रबंधन की ही जरूरत है, जो निष्पक्षता के साथ कठोर निर्णय लेने में सक्षम हो, अन्यथा सरकार की जवाबदेही जनता के प्रति होती है उसे आखिर में जनता को जवाब तो देना ही होगा आज नहीं तो कल जनता आपसे जवाब जरूर मांगेगी ! कब तक जुमले से काम चलाओगे ?

कोरोना का जबरदस्त प्रहार, मामले एक लाख के पार

भारत में कोरोना की रफ्तार जानलेवा हो गई है। पिछले 24 घंटे के दौरान नए COVID-19 केसों का आंकड़ा पहली बार एक लाख का आंकड़ा पार कर गया. केंद्रीय स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सोमवार सुबह जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में पिछले 24 घंटे में 1,03,558 नए COVID-19 केस दर्ज किए गए हैं, जबकि 478 लोगों ने कोरोना की वजह से जान गंवाई है.

इससे पहले, देश में सबसे ज़्यादा नए कोरोनावायरस केस 17 सितंबर, 2020 को सामने आए थे, तब कुल 97,894 मामले दर्ज किए गए थे. इस लिहाज़ से लगभग साढ़े छह महीने बाद कोरोना के आतंक ने भारत में सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.

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पिछले 24 घंटों के दौरान भारत में कोरोनावायरस संक्रमण के 1,03,558 नए मामले सामने आए हैं, जिससे देश में कुल संक्रमितों का आंकड़ा एक करोड़ 25 लाख पार कर 1,25,89,067 हो गया है. इसी अवधि में 478 लोगों की वायरस की वजह से मौत भी हुई है, सो, देश में कुल मृतकों की संख्या बढ़कर 1,65,101 हो गई है. ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, भारत में इस वक्त कोरोनावायरस के एक्टिव मरीज़ों की तादाद सात लाख के पार पहुंच चुकी है, और कुल आंकड़ा 7,41,830 है.

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