गुजरात – हार्दिक पटेल की रैली को देखते हुये कहा जा सकता है कि बीजेपी सायद हार्दिक को हल्के में नहीं ले रही है , उधर कांग्रेस की सभाओं में उमड़ती भीड़ को नजरंदाज नहीं करना चाहती है , क्योंकि जिस गुजरात मॉडल पर 2014 में चुनावी धुरी केन्द्रित थी , अब उसकी हवा निकलती देख ये एहसाश हो चुका है कि यहाँ पर इस बार विरोधी किसी भी प्रकार का स्पेस नहीं देना चाह रही , वो फिर चाहे रैली हो या जन सभायें हो उसकी अन्य रणनीति सब पर विरोधी भारी पड़ते नज़र आ रहे हैं , मोदी सरकार मय मंत्री व अपने सभी राज्यों के मुख्यमंत्री समेत गुजरात में पूरी लावलस्कर के साथ तूफानी दौरे करते नज़र आ रहे हैं।
क्योंकि यदि ऐसा कुछ नही है तो सवाल ये उठता है कि जब बीजेपी ने उतर प्रदेश में अपार सफलता प्राप्त की है , वो भी विरोधियों के लाख हंगामे के बाद की ईवीएम में गड़बड़ी की गई । जिसे योगी जी ने सिरे से नकार दिया, दूसरा सवाल ये कि जव देश में मोदी और योगी लहर जारी है तो फिर बीजेपी को आस्वस्त होना चाहिये न कि बेचैन ? क्योंकि गुजरात माडल देश ही नहीं अपितु विदेश में भी सराहा जा रहा है , और यही नहीं विदेशी मदद से 80 हाजार करोड का कर्ज लेकर गुजरात को बुलेट ट्रेन की सौगात दी गई क्या जनता इसे ध्यान में नही रखेगी ? जिस कर्ज को देश का बच्चा – बच्चा कर भर कर चुकायेगा ! तो तुफानी दैरों में इतना खर्च सरकारी तंत्र के माध्यम से ही व्यय किया जा रहा होगा , जो गरीब जनता के द्वारा किसी न किसी रूप से कर के द्वारा दिया जाता है , क्योंकि मंत्रियों द्वारा लावलस्कर के साथ चुनावी दौरे का खर्च अप्रत्यक्ष रूप से सरकारी खजाने में सेंघ लगाना ही है।
सायद मोदी जी की साफ सुथरी छवि को ये धूमिल कर सकती है ?