१५ दिसंबर, भाइंदर। मीरा भाइंदर महानगरपालिका अधिकारी के खिलाफ शिवसेना के उप जिल्हा प्रमुख शंकर विरकर ने अपना मोर्चा खोला है। शंकर विरकर ने मनपा के सार्वजनिक बांधकाम विभाग में कार्यरत दीपक खाम्बित के सालों से एक ही विभाग में एक ही पोस्ट पर टिके रहने पर सवाल उठाते हुए प्रशांत पलांडे, धनेश पाटिल, जयंती पाटिल, नंदकुमार पाटिल और उनके सभी महिला व् पुरुष कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर उन्हें तुरंत पद से हटाने की मांग को लेकर मनपा मुख्यालय के प्रवेशद्वार पर धरना दिया। सीव्हील कंस्ट्रक्शन डिप्लोमा होल्डर दीपक खाम्बित मीरा भाइंदर मनपा में कार्यरत सबसे विवादास्पद अधिकारी है जो भ्रष्टाचार के लिए जाने जाते है। मनपा का ऐसा कोई विभाग नहीं होगा जहां पर दीपक खाम्बित का भ्रष्टाचार नहीं चलता होगा। एक तरह से मीरा भाइंदर मनपा को अपनी प्रायव्हेट लिमिटेड कंपनी की तरह चलाने वाले दीपक खाम्बित मंत्रालय से लेकर हाईकोर्ट तक अपनी पहुँच रखते है। यही वजह है की अनेकों बार भ्रष्टाचार के मामलों में फंसने के बावजूद वो आसानी से बच जाते है। हालांकि शंकर विरकर अच्छी तरह जानते है की उनके इस आंदोलन से दीपक खाम्बित को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला लेकिन इसी बहाने अपनी राजनीति चमकाने का मौका विरकर नहीं छोड़ना चाहते। सबसे ज्यादा ध्यान देनेवाली बात यह है की शिवसेना के विधायक प्रताप सरनाईक ने सार्वजनिक बांधकाम में हुए करोड़ों का भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए मीरा भाइंदर मनपा के सार्वजनिक बांधकाम विभाग में कार्यकारी अभियंता पद पर पिछले बीस सालों से कब्जा जमाये बैठे दीपक खाम्बित के खिलाफ विधानसभा में सवाल उठाये थे लेकिन बाद में ना जाने क्या व्यवहार हुए, की आगे कुछ कार्रवाई नहीं हुई। इसी के चलते जानकारों का कहना है की इस बार भी विरकर कुछ नहीं कर पाएंगे और दीपक खाम्बित अपने पद पर बने रहेंगे।
देखा जाए तो यहां के सांसद राजन विचारे, विधायक नरेंद्र मेहता और प्रताप सरनाईक अच्छी तरह जानते है की कानूनन एक ही पद पर तीन साल से ज्यादा कोई अधिकारी नहीं काम कर सकता और उन्हें हटाना हो तो मंत्रालय से सिर्फ एक दिन में आदेश पारित किया जा सकता है लेकिन ये लोग ये भी जानते है की दीपक खाम्बित ने भ्रष्टाचार करके करोड़ों-अरबों बनायें है और वो इन सभी को अपनी मुठ्ठी में रखना अच्छी तरह जानते है। यही वजह है की एक मामूलि सा अधिकारी आज मीरा भाइंदर शहर का बादशाह बना बैठा है।
लेकिन सवाल ये उठता है कि ये मंत्रालय आखिर है किसके पास और क्यों नही होती है कार्यवाही ? यही है भष्ट्राचार मुक्त भारत की परिकल्पना ? या कहें भष्ट्राचार युक्त भारत ? कब होगी कार्यवाही ? होगी या वापस फिर रस्म अदायगी।
”मानवाधिकार अभिव्यक्ति ”