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Wednesday, November 29, 2023

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भारतीय संविधान में मानव अधिकार :-

मानवाधिकार – मानव अधिकार से तात्पर्य उन सभी अधिकारों से है जो व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं। यह अधिकार भारतीय संविधान के भाग-तीन में मूलभूत अधिकारों के नाम से वर्णित किये गये हैं और न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय है । इसके अलावा ऐसे अधिकार जो अन्तर्राष्ट्रीय समझौते के फलस्वरूप संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा स्वीकार किये गये है और देश के न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय है, को मानव अधिकार माना जाता है । संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 17, 19, 20, 21, 23, 24, 39, 43, 45 देश में मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिये सुनिश्चित हैं। ‘भारतीय संविधान’ इस अधिकार की न सिर्फ़ गारंटी देता है, बल्कि इसे तोड़ने वाले को अदालत सजा देती है। भारत में 28 सितंबर, 1993 से मानव अधिकार क़ानून अमल में आया। 12 अक्टूबर, 1993 में सरकार ने ‘राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग’ का गठन किया। इसी तरह प्रदेशों में राज्य मानव अधिकार आयोग का समय-समय पर गठन किया गया है। आयोग के कार्यक्षेत्र में नागरिक और राजनीतिक के साथ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार भी आते हैं, जैसे- बाल मज़दूरी, एचआईवी/एड्स, स्वास्थ्य, भोजन, बाल विवाह, महिला अधिकार, हिरासत और मुठभेड़ में होने वाली मौत, अल्पसंख्यकों और अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकार आदि। 

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छत्तीसगढ़ राज्य मानव अधिकार आयोगः-

भारतीय संसद द्वारा पारित मानव अधिकार संरक्षण
अधिनियमए 1993 के अंतर्गत 16 अप्रेल 2001 को छत्तीसगढ़ राज्य मानव अधिकार आयोग का
गठन किया गया है, जिसका मुख्यालय रायपुर में स्थित है। आयोग को मुख्यतः मानव अधिकारों के
संरक्षण, प्रशासन व्यवस्था में सुधार आदि की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पीड़ित व्यक्ति आयोग के
माध्यम से अपने अधिकारों का संरक्षण कर सकता है।

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• आयोग में आवेदन की प्रकियाः- पीड़ित व्यक्ति निःशुल्क आवेदन आयोग को संबोधित करते
हुए अपना हस्ताक्षर एवं पूर्ण पता लिखकर प्रेषित कर सकता है। आवेदक व्यक्तिगत रूप से
उपस्थित होकर, डाक द्वारा अथवा इलेक्ट्रांनिक माध्यम से भी भेजा जा सकता है।
आयोग में आवेदन की सीमाएः- सामान्यतः एक वर्ष से अधिक पुरानी घटनाए न्यायालय में
लंबित प्रकरणों, अस्पष्ट व ओछी शिकायत एवं आयोग के क्षेत्राधिकार के बाहर की शिकायतों पर
विचार नही किया जाता है।
आयोग के कार्य एवं गतिविधियॉं सामान्य प्रकरणए जिन पर आयोग द्वारा सुनवायई की
जाती हैः- शासकीय सेवक द्वारा मानव अधिकार के हनन , पुलिस अभिरक्षा में मृत्यु से संबंधित,
जेल अभिरक्षा में मृत्यु से संबंधित, पुलिस व जेल अभिरक्षा में बलात्कार से संबंधित, पुलिस
प्रताड़ना की शिकायत से संबंधित, पुलिस द्वारा कार्यवाही न करने से संबंधित, अवैध रूप से
रोके जाने से संबंधित, रैगिंग से संबंधित, नक्सलवादी घटनाओं की शिकायत से संबंधित, टोनही प्रताड़ना से संबंधित, बच्चों को प्रताड़ित करने से संबंधित, बाल विवाह से संबंधित, मानव अधिकारों के हनन से संबंधित प्रकरणों में स्वास्थ, शिक्षा, प्रदूषण, राजस्व, वन एवं शासन के अन्य विभागों से प्रतिवेदन आहुत करना एवं आवश्यक अनुशंसा तथा निर्देश जारी करना, मानव का अवैध व्यापार, ट्रैफिकिंग से संबंधित, शैक्षणिक संस्थाओं में मानव अधिकार हनन के प्रकरण, मानव अधिकारों से संबंधित अन्य शिकायतें।

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