-रवि जी. निगम

अमेरिकी मीडिया ने निष्पक्ष पत्रकारिता का परिचय देते हुये उन भक्तों और विज्ञापन लुलोभियों के मुँह पर जबर्दस्त तमाचा मारा है, कि जनता की भावनाओं के साथ विश्वास घात करना एक अच्छा या उचित मार्ग नहीं माना जा सकता है क्योंकि जनता और पत्रकारिता के मध्य जो डोर होती है वो बहुत पवित्र और नाज़ुक डोर होती है यदि ये टूट जाये तो लाख कोशिसों के बाद भी जोडी नहीं जा सकती न ही इसे सिक्कों के खनक से खरीदा ही जा सकता है अत: इसे चन्द सिक्कों के खातिर नीलाम करने वाले पत्रकारिता को मीडिया हाऊस में तो तप्दील कर सकते हैं लेकिन पुन: विश्वास नहीं जीत सकते।
वाशिंगटन : अमेरिका के कई बड़े टीवी चैनलों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव को लेकर की जा रही टिप्पणी को बीच में ही रोक दिया. वहाँ के चैनलों – एबीसी, सीबीएस और एनबीसी – ने उनकी प्रेस कॉन्फ़्रेंस की कवरेज बीच में ही रोक दी और अपने दर्शकों से कहा कि राष्ट्रपति ने कई झूठे बयान दिए हैं.
पोस्टल मतों को धोखा बता रहे हैं ट्रम्प
संवाददाताओं का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप की बातों से ऐसा लग रहा था कि वो “पोस्टल मतों” को “फ़्रॉड” यानी धोखाधड़ी ठहरा रहे हैं.
बाइडेन ने की पोस्टल वोटिंग की बात
ट्रंप मतदान से पहले से ही अपने समर्थकों से कहते रहे हैं वो पोस्टल वोट ना डालें बल्कि ख़ुद जाकर मतदान करें, वहीं जो बाइडन ने अपने समर्थकों से कहा था वो कोरोना महामारी को देखते हुए अधिक-से-अधिक संख्या में पोस्टल मतों से ही वोटिंग करें.
ट्रम्प की घटती जा रही है बढ़त
राष्ट्रपति ट्रंप ने भारतीय समयानुसार शुक्रवार को तड़के एक बार फिर से बिना किसी प्रमाण के दावा किया कि “वैध मतों” की गिनती के हिसाब से राष्ट्रपति चुनाव में वही विजेता निकलेंगे. दो दिन की चुप्पी के बाद उन्होंने फिर से ये शिकायत ऐसे समय की जब दो महत्वपूर्ण राज्यों – जॉर्जिया और पेन्सिल्वेनिया – में पोस्टल मतों की जारी गिनती के साथ उनकी बढ़त घटती जा रही है.
चुनाव चुराने का आरोप
राष्ट्रपति ट्रंप ने व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ़्रेंस में एक बार फिर अपनी जीत का दावा करते हुए ये शिकायत की कि अवैध मतों से उनके पक्ष में आए चुनाव परिणाम को “चुराने” की कोशिश की की जा रही है.
विश्लेषकों ने दावे को ठुकराया
हालाँकि विश्लेषकों के अनुसार उनके इस दावे का कोई जायज़ आधार नहीं है. राष्ट्रपति ट्रंप जिन पोस्टल मतों की गिनती की ओर इशारा कर रहे हैं, वो अवैध नहीं हैं. उनकी गिनती बाद में इसलिए हो रही है क्योंकि अमेरिका के कई राज्यों में यही प्रावधान है.